कभी कुपोषण से जूझने वाले बिहार के लाल मुकेश को कैसे मिली टीम इंडिया में जगह? जानिए उन्हीं की जुबानी
वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारत की टेस्ट और वनडे टीम में शामिल किए गए तेज गेंदबाज मुकेश कुमार )Mukesh Kumar) का यहां तक का सफर कांटों भरा रहा है. क्रिकेटर बनने के लिए उन्हें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. 12 जुलाई से शुरू हो रहे विंडीज दौरे के लिए टीम इंडिया में जगह बनाने के बाद मुकेश का रिएक्शन सामने आया है. उन्होंने कहा है कि अब उनका सपना उनके सामने है.
भारतीय टीम में चुने जाने के बाद मुकेश ने कहा, ” कहते हैं ना कि अगर आप टेस्ट नहीं खेले तो क्या खेले. मेरा सपना अब मेरे सामने है, मैं हमेशा यहां होना चाहता था, भारत के लिए टेस्ट खेलना चाहता था और मैं आखिर टीम में शामिल हो गया.”
29 साल के मुकेश के पिता काशीनाथ सिंह उनके क्रिकेट खेलने के खिलाफ थे और वे चाहते थे कि वह CRPF से जुड़े, 2019 में उनके पिता का निधन हो गया, मुकेश दो बार सीआरपीएफ की परीक्षा में विफल रहे और बिहार की अंडर-19 टीम का प्रतिनिधित्व करने के बाद उनका क्रिकेट करियर भी आगे नहीं बढ़ रहा था. उन्होंने फिर बंगाल में खेप’ क्रिकेट खेलने का फैसला किया, वह टेनिस बॉल क्रिकेट में गैर मान्यता प्राप्त क्लबों का प्रतिनिधित्व करते जिसमें उन्हें प्रत्येक मैच में 500 रूपये से लेकर 5000 रूपये मिलते.
कभी कुपोषण के थे शिकार, फिर इस शख्श ने बदल दी जिंदगी
मुकेश कुपोषण से जूझ रहे थे और उन्हें बोन एडीमा’ भी था जिसमें उनके घुटने में अत्यधिक पानी इकट्ठा हो जाता था जिससे वह मैच नहीं खेल पाते, पर बंगाल के पूर्व तेज गेंदबाज राणादेब बोस ने उनकी जिंदगी बदल दी. बंगाल क्रिकेट संघ के विजन 2020’ कार्यक्रम में बोस ने मुकेश की प्रतिभा देखी.
हालांकि वह ट्रायल्स में विफल रहे लेकिन बोस ने तब के कैब सचिव सौरव गांगुली को मनाया. जिसके बाद संघ ने उनके खाने पीने का पूरा ध्यान रखा और उनका एमआरआई करवाया, उनके मेडिकल खर्चे का इंतजाम किया. फिर मुकेश ने 2015-16 में हरियाणा के खिलाफ बंगाल के लिए डेब्यू किया.
वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम:
रोहित शर्मा (कप्तान), शुभमन गिल, रुतुराज गायकवाड़, विराट कोहली, यशस्वी जायसवाल, अजिंक्य रहाणे (वीसी), केएस भरत (विकेटकीपर), ईशान किशन (विकेटकीपर), आर अश्विन, आर जड़ेजा, शार्दुल ठाकुर, अक्षर पटेल , मो. सिराज, मुकेश कुमार, जयदेव उनादकट, नवदीप सैनी.