खेत में सुरेंद्र राम चला रहे थे कुदाल, लड़की वालों ने देखा तो कर दिया रिश्ता पक्का, बिहार के मंत्री ने बताई खुद के शादी की कहानी
बिहार के श्रम संसाधन मंत्री सुरेंद्र राम का शुरुआती जीवन बहुत ही गरीबी और अभाव में बीता है। जीविका के लिए उनका परिवार दिहाड़ी मजदूरी करता था। जब उनकी शादी हुई तब उनके पास बिल्कुल पैसे नहीं थे। इसके चलते उन्होंने दिल्ली में कई दिन तक भाई के साथ मजदूरी करके पैसे जुटाए तब जाकर उनकी शादी हो सकी।
बिना सूचना के ही आ गये थे देखने वाले, पहली बार में ही कर लिया पसंद
न्यूज चैनल बिहार तक से बातचीत में मंत्री सुरेंद्र राम ने खुद अपनी कहानी बताई। उनके मुताबिक एक दिन वे अपने पिता के साथ प्याज के खेत में कुदाल चला रहे थे। इसी दौरान दो लोग वहां आए और उनके पिता परमेश्वर राम को अपना परिचय देकर बेटे के रिश्ते के सिलसिले में बात करने की जानकारी दी। उन्होंने उनसे सुरेंद्र राम के बारे में पूछा तो पिता ने इशारे से बता दिया कि वह कुदाल चला रहा है। बिना किसी सूचना के आए लड़की वालों ने सुरेंद्र राम को पहली बार में ही पसंद कर लिया। इसके बाद उन्होंने उनसे कहा कि वे आकर एक दिन लड़की को देख लें। पिताजी के इनकार करने पर वे जिद करने लगे। इस तरह शादी पक्की होने पर सुरेंद्र राम के सामने पैसे की समस्या आ गई।
शादी के पैसे जुटाने के लिए दिहाड़ी मजदूरी की, बिना पंखे वाले किराए के कमरे में रहे
सुरेंद्र राम बताते हैं कि उन्होंने तय किया कि वे अपने भाई के साथ दिल्ली जाएंगे और वहां से कुछ कमाकर लाने के बाद ही शादी करेंगे। जब वे दिल्ली पहुंचे तो रहने के लिए एक ऐसा कमरा किराए पर लिया, जिसमें पंखा नहीं था। भीषण गर्मी में बिना पंखे के एक छोटे से कमरे में रहते हुए दोनों भाइयों ने दिहाड़ी मजदूरी का काम किया। काफी दिनों तक काम करने के बाद वे कुछ पैसा जुटा लेने पर घर रवाना हुए और उसके बाद उनकी शादी हो सकी।
2001 में पार्षदी से शुरू हुई राजनीतिक कैरियर, 2020 में बने विधायक
वह राज्य के सारण जिले के नगर पंचायत दिघवारा के चकनूर गांव के रहने वाले हैं। सुरेंद्र राम का राजनीतिक जीवन 2001 में दिघवारा के वार्ड संख्या पांच के पार्षद चुने जाने से शुरू हुआ। बाद में वे वहीं उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। राष्ट्रीय जनता दल के नेता के रूप में बाद में वे नगर अध्यक्ष बनाए गये। काफी समय तक वे पार्टी कार्यकर्ता के रूप में अपने क्षेत्र में काम करते रहे। 2020 में उनको गड़खा विधानसभा सीट से पार्टी का टिकट मिला और वे जीतकर विधायक बन गये। कुछ महीने पहले ही उन्हें कैमूर जिले का प्रभारी मंत्री मनोनीत किया गया है।