छपरा नगर निगम की मेयर राखी गुप्ता की कुर्सी छिन गई है. राज्य निर्वाचन आयोग ने अपना फैसला सुनाते हुए गुरुवार से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया है. इसके कारण छपरा नगर निगम के मेयर का पद अब रिक्त हो गया है. राज्य निर्वाचन आयोग ने राखी गुप्ता को दो से अधिक संतान होने के आरोप सिद्ध होने के बाद पद से उन्हें अयोग्य घोषित किया है. राखी गुप्ता ने चुनाव के लिए अपने नामांकन के दौरान दिए हलफनामे में गलत जाणारी दी थी. उन्होंने हलफनामे में दो बच्चे होने की जानकारी दी थी लेकिन कागजातों के मुताबिक उनके दो बच्चे हैं. चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद छपरा नगर निगम की राजनीति में हड़कंप मैच गया है.
दो से अधिक संतान के मामले में आयोग ने राखी को किया बर्खास्त
नगर निगम आम चुनाव में राखी के विजयी होने के बाद छपरा की सुनीता देवी ने आयोग को आवेदन देकर शिकायत की थी कि निर्वाचित मेयर को दो से अधिक संतान है. सुनीता देवी ने राखी के निर्वाचन को रद्द करने की मांग की थी. इसके बाद दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद वाद संख्या 13-2023 में मामले की सुनवाई करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग ने दो से अधिक संतान के मामले में यह फैसला दिया है.
बच्चों को लेकर क्या है प्रावधान
नगरपालिका अधिनियम में यह प्रावधान है कि चार अप्रैल, 2008 के बाद किसी भी प्रत्याशी को दो से अधिक जीवित संतान रहने के कारण चुनाव पूर्व नामांकन पत्रों की जांच के दौरान ही अयोग्य घोषित कर दिया जाना है. बावजूद इसके राखी गुप्ता ने तथ्यों को छिपाकर गलत शपथ पत्र के आधार पर मुख्य पार्षद (मेयर) छपरा नगर निगम के पद पर निर्वाचित होने में कामयाब रही. इसको लेकर आयोग ने बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 18 (1) के तहत अर्हता प्राप्त नहीं रहने के कारण राखी गुप्ता को अयोग्य व निर्हरित घोषित कर दिया गया.
तत्काल प्रभाव से राखी गुप्ता को किया गया पद मुक्त
आयोग ने राखी गुप्ता को तत्काल प्रभाव से पद मुक्त कर दिया है. साथ ही आदेश दिया है कि छपरा नगर निगम का पद रिक्त समझा जायेगा. साथ ही सारण के जिलाधिकारी को आदेश दिया गया है कि राखी गुप्ता के विरुद्ध गलत हलफनामा एवं तथ्य छुपाने के लिए सुसंगत धाराओं के तहत जिला निर्वाचन पदाधिकारी (नगरपालिका) एवं जिला दंडाधिकारी, सारण के रूप में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करना अपरिहार्य है. इस संबंध में जिलाधिकारी अपने स्तर से आगे की कार्रवाई करना सुनिश्चित करें. इसके साथ ही इस वाद को निष्पादित कर दिया गया.
यह जनता की हार है
इस संबंध में जब राखी गुप्ता से बात की गई तो उनका कहना था कि जब मैंने चुनाव जीता था तो वो जीत मेरी नहीं जनता की जीत थी. चूक मुझसे नहीं हुई है. आज लोगों को लगता है कि राखी गुप्ता हारी है तो मैं नहीं जनता की हार है. जो हमारे पीछे लगे थे उनकी जीत हो गयी है.
तीन बच्चे होने का आरोप
बता दें कि मेयर के चुनाव में जीत के बाद राखी गुप्ता सुर्खियों में आई थीं. राजनीति में राखी ने पहली बार अपनी किस्मत आजमाई थी और उन्हें इसमें बड़ी जीत मिली. जानकारी के अनुसार राखी गुप्ता पर तीन संतान 14 वर्षीय श्रीयांशी प्रकाश, 9 वर्षीय शिवंशी प्रकाश और 6 वर्षीय श्रीश प्रकाश होने का आरोप है. लेकिन अपने नामांकन में उन्होंने सिर्फ दो बच्चों के बारे में ही जानकारी दी है.
14 से 20 दिनों के बीच आ गया फैसला
राखी गुप्ता के मामले की सुनवाई करीब छह माह तक चली. पांच जून बुधवार को निर्वाचन आयोग द्वारा अंतिम तारीख पर पेशी के दौरान दोनों पक्ष को सुनते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. गुरुवार को चुनाव आयोग द्वारा मेयर राखी गुप्ता को अयोग्य करार कर दे दिया गया है. नियमानुसार फैसला सुरक्षित रखने के 14 दिनों के अंदर फैसला को प्रकाशित किया जाता है. कुछ दिन विलंब हुआ पर शिकायतकर्ता को राहत मिली है.
जल्द ही होगा चुनाव, बर्खास्त मेयर पर होगी कारवाई
आयोग से जो आदेश प्राप्त हुए हैं उसके अनुसार यह लग रहा है कि जल्द ही इस पद को भर दिया जायेगा. इसके लिए चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. इसी बीच आयोग ने अपने आदेश में जिलाधिकारी और निर्वाचन पदाधिकारी नगरपालिका को राखी गुप्ता के खिलाफ साक्ष्य छिपाने के आरोप में कारवाई करने की अनुशंसा की है. पूर्व मेयर सुनीता कुमारी ने कहा न्याय की जीत राज्य चुनाव आयोग ने जो आदेश पारित किया है. वह काबिले तारीफ है. राखी गुप्ता का पद जाना ही था न्याय की जीत हुई है.
कौन हैं राखी गुप्ता
राखी गुप्ता का ताल्लुक पटना के बड़े स्वर्ण व्यवसायी अलंकार परिवार से है. राखी ने लखनऊ से अपनी एमबीए की पढ़ाई की है. राखी ने अपने करियर में मॉडलिंग भी किया है वो वर्ष 2021 में मिसेज बिहार के प्रतियोगिता में रनरअप भी रह चुकी हैं. वहीं राखी के पति भी स्वर्ण व्यवसायी है, राखी ने शादी के बाद अपने ससुराल छपरा में यह व्यवसाय संभालना शुरू कर दिया था. राखी के पति पहले तो सिर्फ स्वर्ण का व्यवसाय किए करते थे लेकिन बीते दो वर्षों से वो राजनीति में सक्रिय हैं. समाज सेवा करते हुए वरुण राजनीति की तरफ आकर्षित हुए थे, जिसके बाद वो भाजपा में व्यावसायिक प्रकोष्ठ के संयोजक बने. जिसके बाद राखी ने छपरा मेयर के चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई और पहली बार में ही जीत दर्ज किया. बताया दें कि राखी के परिवार में इससे पहले किसी ने चुनाव नहीं लड़ा था.
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