‘ED डायरेक्टर का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाना अवैध’, सुप्रीम कोर्ट से मोदी सरकार को बड़ा झटका
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के निदेशक संजय मिश्रा को सरकार की तरफ से मिले एक्सटेंशन को सुप्रीम कोर्ट ने गलत करार दिया है। शीर्ष अदालत का कहना है कि 2021 में एनजीओ कॉमन कॉज के मामले में जो फैसला उसने दिया था उसकी इस मामले में सरासर अवहेलना हुई है। कोर्ट ने कहा कि संजय मिश्रा केवल 31 जुलाई तक ही बतौर ईडी डायरेक्टर अपनी सेवाएं दे सकते हैं।
उधर केंद्र सरकार संजय मिश्रा को दिए एक्सटेंशन को ये कहकर सही ठहरा रही है कि उनकी जगह लेने के लिए अभी कोई दूसरा अफसर तलाश नहीं किया जा सका है। सरकार का कहना है कि FATF जैसे मामलों में अभी काफी काम किया जाना बाकी है। मिश्रा इस मसले पर खुद काम कर रहे हैं। सरकार का ये भी कहना था कि संजय मिश्रा का दायित्व किसी दूसरे योग्य अफसर को दिया जाना है। इसके लिए उसे कुछ समय चाहिए। कोर्ट ने सरकार की दलील पर गौर करते हुए ही संजय मिश्रा को 31 जुलाई तक काम करने की अनुमति दी है।
सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट और दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेबिलशमेंट एक्ट में हुए बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी। इनमें संशोधन के जरिये केंद्र ने प्रावधान किया है कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के निदेशकों को पांच साल तक का एक्सटेंशन दिया जा सकता है। कोर्ट का कहना था कि ऐसे अफसरों की नियुक्ति हाई लेवल कमेटी करती है। जनहित में अफसरों को सेवा विस्तार दिया जा सकता है लेकिन ऐसा क्यों किया गया, ये चीज सरकार को लिखित में देनी होगी।
कांग्रेस और टीएमसी नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें ईडी निदेशक को दिए गए एक्सेंशन पर विरोध जताया गया था। याचिका में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट और दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेबिलशमेंट एक्ट में हुए बदलाव को भी चुनौती दी गई थी। ये याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर, रणदीप सुरजेवाला, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, साकेत गोखले की तरफ से दायर की गई थी। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई पर अपना फैसला रिजर्व रख लिया था।