ना कॉल, ना मोबाइल हैक: रजिस्ट्री ऑफिस से जमीन के कागज से फिंगर प्रिंट निकालकर करते थे बैंक अकाउंट खाली
बिहार की नवादा पुलिस ने एक ऐसे साइबर फ्रॉड गिरोह का खुलासा किया है जिसका तरीका आपको दंग कर देगा। यह गिरोह न कॉल करता है और न ओटीपी मांगता है लेकिन चुपके से किसी का बैंक खाता खाली कर देता है। दरअसल यह गिरोह लोगों के फिंगर प्रिंट का क्लोन बनाकर जुगाड़ टेक्नोलॉजी से लोगों को चूना लगा देता है।
दरअसल गिरोह के शातिर बदमाश जमीन की रजिस्ट्री के दस्तावेज से फिंगर प्रिंट क्लोन कर लेते हैं और आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम (एईपीएस) के माध्यम से बैंक खातों से लाखों की राशि उड़ा लेते हैं। नवादा पुलिस साइबर अपराधियों के एक बड़ा गिरोह चलाने वाले करने वाले जीजा-साला को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है ताकि पूरे गिरोह को दबोचा जा सके। यह भी पता लगाया जा रहा है कि इनका नेटवर्क कहां-कहां है।
5 जुलाई को साइबर थाने में नारदीगंज थाना क्षेत्र के पेश गांव के सुधीर की पत्नी उर्मिला ने धोखाधड़ी का एक मामला दर्ज कराया था। उर्मिला के मुताबिक अपराधियों ने नारदीगंज दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक स्थित बैंक खाते से 8 जून से 3 जुलाई के बीच छह बार में 57 हजार 900 निकाल लिये थे। दर्ज साइबर थाना कांड संख्या 29/23 में अज्ञात अपराधियों को आरोपित किया था। अनुसंधान में इस बात का खुलासा हुआ कि ये रुपये अजय व रामप्रवेश द्वारा निकाले गये थे। तकनीकी सर्विलांस के माध्यम से एसआईटी अपराधियों तक पहुंच गयी और इन्हें गिरफ्तार कर लिया।
छापेमारी का नेतृत्व एसआईटी की डीएसपी सह साइबर थानाध्यक्ष प्रिया ज्योति ने किया। डीएसपी प्रिया ने कहा कि अपराधियों द्वारा रजिस्ट्री ऑफिस अथवा अंचल से जमीन के दस्तावेज निकलवाये जाते थे। दस्तावेज जमीन की रजिस्ट्री के समय रजिस्ट्री ऑफिस अथवा दाखिल खारिज के समय अंचल कर्मियों के सहयोग से निकलवा लिये जाते थे। इसके अलावा अपराधी लोन दिलाने का काम भी करते थे।
इन सामानों की हुई बरामदगी
बरामद सामानों में 314 बंडल जमीन के दस्तावेज, 02 फिंगर प्रिंट स्कैनर, 27 विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, 13 चेक बुक, 18 आधार कार्ड की छायाप्रति, 01 रामप्रवेश के नाम का स्पाइस मनी का आईकार्ड, 08 पैड दीक्षा नर्सिंग होम का, 01 लेटर पैड बीमा चिल्ड्रेन फाउण्डेशन, 02 दीक्षा चिल्ड्रेन फाउण्डेशन बीमा का परमिशन लेटर, 02 पेज किरायेनामा का दस्तावेज, 01 बैंकिग इंस्टीटयूट ऑफ फाइनेंस सर्टिफिकेट शामिल हैं। इनके अलावे 03 मोबाइल, 01 पैन कार्ड, 02 वोटर आई कार्ड, 06 पासबुक की छायाप्रति, 03 एचडीएफसी बैंक के एटीकार्ड का पेपर, 01 पासपोर्ट रामप्रवेश के नाम का, 03 पासबुक, 01 ई-श्रम कार्ड, 04 पैन कार्ड का छायाप्रति, 02 लोन का पेपर, 02 सर्जिकल ट्रेडर्स का पेपर, 01 लैपटॉप (एसर), 01 एचपी प्रिंटर, 01 इप्सन प्रिंटर व 01 कैनन प्रिंटर, 01 लैमिनेशन मशीन टेक बाइट का, 02 प्लास्टिक थीन पेपर, 02 कार्ड रीडर, 04 पेन ड्राइव, 01 स्टाम्प व 01 स्टाम्प पैड, 01 रजिस्टर, 01 यूएई का नोट (10 दिरहम) व 01 पांच रुपये का नेपाली नोट शामिल हैं।
एनजीओ व नर्सिंग होम चला रहे थे
अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी से अर्जित की गयी राशि से दीक्षा चिल्ड्रेन फाउंडेशन नामक एक एनजीओ चलाया जा रहा था। अजय इसका चेयनमैन है। इसकी आड़ में नारदीगंज बाजार में दीक्षा नर्सिंग होम एंड फार्मास्यूटिकल इंस्टीच्यूट चलाया जा रहा था। नर्सिंग होम में एक ऑपरेशन थियेटर भी बनाया गया था। प्नर्सिंग होम का पंजीकरण नहीं है। अवैध है। नारदीगंज बाजार में ही एक क्विक कैफे नाम से साइबर कैफे भी चलाया जा रहा था।
ऐसे बनाते थे क्लोन
यह गिरोह रजिस्ट्री के पेपर से अंगूठे के निशान को स्कैन कर लेता था। फिर फोटोशॉप पर एडिट कर फिंगर प्रिंट को ठीक किया जाता था। फिर प्लास्टिक पेपर पर उस अंगूठा निशान को प्रिंट किया जाता था। उसके चारों ओर टेप लगाकर बीच में फेविकॉल लगा दिया जाता था। बल्ब की रौशनी में 10 -12 घंटे सुखाने के बाद फिंगर प्रिंट का क्लोन तैयार हो जाता था। उस क्लोन का इस्तेमाल अंगूठे की तरह करके बैंक ऐप की मदद से उस आदमी का पैसा निकाल लिया जाता था।