बिहार सरकार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि जाति आधारित गणना के मामले में भाजपा और केंद्र सरकार की स्थिति हास्यास्पद हो गई है। वह बेनकाब भी हुई है।
पहले तो भाजपा ने अपने लोगों को उकसा कर लोकहित याचिकाओं के माध्यम से अदालती पेंच फंसाने की कोशिश की। बिहार सरकार की मुस्तैदी के कारण इनकी दाल नहीं गली।
केंद्र सरकार ने सॉलिसिटर जनरल को भेजा
लोकहित याचिकाओं की असफलता देख सोमवार को केन्द्र सरकार स्वयं सीधे सॉलिसिटर जनरल के माध्यम से इस मामले में कूद पड़ी। दुखद पक्ष यह है कि केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को कहा कि इस मामले पक्ष या विपक्ष में नहीं है।
धूम-धड़ाके से चलने वाली केन्द्र सरकार की अनिर्णय एवं असहाय स्थिति ही बहुत कुछ बता रही है। हालांकि, इसका मूल उद्देश्य इस गणना को किसी भी तरह से बाधित करना ही है।
उन्होंने कहा कि पिछले कई महीने से पटना उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय के बीच विभिन्न कानूनी मुद्दों पर इस मामले की सुनवाई चल रही थी, उस समय केंद्र सरकार चुप बैठी हुई थी, परन्तु अब उच्चतम न्यायालय में मामले की सुनवाई पूरी होने वाली है तो केन्द्र सरकार का इसमें कूदना दु:खद है।
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में क्या कहा?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जाति आधारित गणना पर रोक लगाने से इनकार करते हुए दो याचिकाकर्ताओं को ऐसा कोई मामला लाने की बात कही, जिससे इसका कोई नुकसान सामने आए। तभी इसपर रोक लग सकेगी।
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च अदालत में इसके दुष्परिणामों की बात कही, लेकिन कोई भी ऐसा तर्क अदालत में नहीं रखा।
इसके बाद अदालत ने सॉलिसिटर जनरल को 7 दिनों के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। वहीं, अब इस मामले में 28 अगस्त को अगली सुनवाई होगी।
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