नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को मां की इलाज के लिए 15 दिनों की पैरोल मिली है। अगले 15 दिनों तक वह देश में कहीं भी आ जा सकते हैं। राजबल्लभ यादव के मां की तबीयत बिगड़ने के बाद इलाज के लिए कारा प्रशासन को पैरोल के लिए निवेदन दिया गया था। बेऊर जेल अधीक्षक जितेंद्र सिंह ने इसकी पुष्टि की है।
राजबल्लभ यादव को लालू प्रसाद यादव का बेहद करीबी माना जाता है। राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी अभी राजद की विधायक हैं। जेल अधीक्षक जितेंद्र सिंह के मुताबिक राजबल्लभ यादव ने आवेदन दिया था कि उसकी मां की तबीयत खराब है, लिहाजा उसे 15 दिनों के लिए पैरोल पर रिहा कर दिया जाये। इसके बाद उसे 15 दिनों के लिए जेल से छोड़ा गया है।
बेऊर जेल प्रशासन के मुताबिक राजबल्लभ यादव 22 अगस्त तक जेल से बाहर रहेगा। उसके बाद राजबल्लभ को फिर से सजा काटनी होगी। उल्लेखनीय है कि नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में फंसने के बाद उसकी विधायकी चली गई थी। अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है। 2016 में राजबल्लभ पर 15 साल की एक लड़की ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था। उस वक्त भी बिहार में जदयू-राजद की साझा सरकार थी। ऐसे में राजबल्लभ के खिलाफ मामला काफी दिनों तक ठंढ़े बस्ते में पड़ा रहा। बाद में काफी विवाद के बाद राजबल्लभ पर कार्रवाई हुई। हालांकि उस दौरान भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पाई थी। राजबल्लभ ने खुद आत्मसमर्पण किया था।
राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी अभी भी नवादा से राजद की विधायक हैं। जेल में बंद राजबल्लभ के रूतबे की खबरें पहले भी आती रही हैं। करीब दो साल पहले भी उसकी करतूत सामने आई थी। अपना चेकअप कराने के नाम पर राजबल्लभ यादव जेल से पटना के आईजीआईएमएस आया था। वहां उसने अपनी विधायक पत्नी के साथ बकायदा जनता दरबार लगा लिया था।
उल्लेखनीय है कि नवादा जिले के इंग्लिश पथरा गांव स्थित विधायक आवास में 15 वर्षीय पीड़िता को पूरी रात बंधक बनाकर रखने और उसके साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देने के मामले में कोर्ट के विशेष न्यायाधीश परशुराम यादव ने राज बल्लभ समेत पांच लोगों को दोषी पाया था। इस केस में दोषियों को सजा 21 दिसंबर को सजा सुनाई थी। दुष्कर्म केस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के एक दिन बाद ही 9 नवंबर 2016 को बिहार के नालंदा जिले में राजबल्लभ यादव ने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस मामले में 30 सितंबर 2016 को पटना हाई कोर्ट ने राजबल्लभ यादव को जमानत दे दी थी। लेकिन बाद में 8 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए बेल को खारिज कर दिया।
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