होनहार वीरवान के होत चिकने पात.. इस कहावत को सही साबित किया है बक्सर के लाल आशीष भूषण ने। ब्रह्मपुर इलाके के 22 वर्षीय वैज्ञानिक आशीष भूषण ने वो सपना पूरा कर दिखाया जो वो बचपन से देखा करते थे। उनका चयन इसरो में बतौर वैज्ञानिक (Ashish Bhushan in Isro) हुआ है। दो दिन पहले ही आशीष इसरो पहुंचे और वहां मिली जिम्मेदारी में जुट गए। बेटे को वहां तक पहुंचाने के लिए गए उनके माता-पिता खुशी से फूले नहीं समा रहे। जिस तरह से उनके बेटे ने अपनी पढ़ाई और मेहनत के बलबूते ये कामयाबी हासिल की उसकी हर कोई तारीफ कर रहा है।
पैक्स अध्यक्ष हैं आशीष भूषण के पिता
आशीष भूषण के पिता भारत भूषण सिंह, ब्रह्मपुर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष हैं। वहीं आशीष की मां का नाम किरण सिंह हैं। माता-पिता दोनों ही बेटे को इसरो में काम करते हुए देखने पहुंचे थे। अपने पुत्र को इसरो में रिसर्च करते देख माता-पिता फूले नहीं समा रहे। वहीं घर पर मौजूद आशीष के दादा मारकंडेय सिंह की भी खुशी छिपाए नहीं छिप रही। वहीं बक्सर के लाल ने जिस तरह की कामयाबी हासिल की उससे पूरे जिले में खुशी का माहौल है। लोग आशीष भूषण को बधाइयां दे रहे हैं।
ऐसे जागी वैज्ञानिक बनने की इच्छा
इसरो में बतौर वैज्ञानिक चुने गए आशीष संभवतः जिले के पहले वैज्ञानिक हैं। 2008 में चंद्रयान और 2015 में मंगलयान को अंतरिक्ष में जाते देख बचपन में ही आशीष ने वैज्ञानिक बनने का फैसला कर लिया। यही नहीं अपनी मेहनत से वहां तक पहुंचने में कामयाब भी हो गए। उसकी प्रारंभिक पढ़ाई पटना के लोयला स्कूल में हुई। आशीष ने बताया कि बारहवीं के बाद आईआईटी में चयन के लिए परीक्षा दी। मुझे बीएचयू में दाखिला मिल रहा था लेकिन, मेरा ध्यान तो इसरो की तरफ था।
पढ़ाई और मेहनत से यूं बनाया मुकाम
आशीष भूषण ने बताया कि आईआईटी की परीक्षा के आधार पर मेरा दाखिला भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी), केरल में हो गया। साल 2022 में GATE निकाला और 2023 में इसरो तक पहुंच गया। उन्होंने युवाओं को सीख देते हुए कहा कि सबसे पहले उन्हें अपना लक्ष्य तय करना चाहिए। तभी आप कुछ बेहतर कर सकते हैं।
आशीष की सफलता पर जमकर मिल रही बधाइयां
आशीष ने बताया कि मेरी इच्छा थी मैं वैज्ञानिक बनू और मैंने खुद ही वह रास्ता चुना और आज यहां तक पहुंच गया हूं। उन्होंने कहा कि सभी लोगों को परिश्रम करना चाहिए तभी सफलता मिलेगी। सबको यही करना चाहिए। अपनी मंजिल तय कीजिए और सफर शुरू। एक दिन तो पहुंचना ही है। सफलता का श्रेय आशीष अपने दादा मारकंडेय सिंह, मां, पिता और परिजनों को दिया। जो उनकी इस सफलता से सबसे ज्यादा खुश हैं। वहीं जिले से लगातार आशीष को बधाई संदेश मिल रहे हैं।
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