सृजन घोटाले की मुख्य अभियुक्त रजनी प्रिया गिरफ्तार, सीबीआई ने गाजियाबाद से पकड़ा, जानिए कैसे हुआ स्कैम
सृजन घोटाले की मुख्य आरोपित रजनी प्रिया को उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद से गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। सीबीआई ने गिरफ्तारी के बाद गाजियाबाद कोर्ट में पेश किया। वहां से ट्रांजिट रिमांड (फॉरवार्डिंग) पर पटना सीबीआई कोर्ट में पेश करने के लिए लाया जा रहा है। संभवत: शुक्रवार को रजनी प्रिया को पटना कोर्ट में पेश किया जाएगा। पता चला है कि सीबीआई की एक टीम इंस्पेक्टर रवि शंकर कुमार के नेतृत्व में गुरुवार को साहिबाबाद पहुंची। टीम के पास रजनी प्रिया के राजेंद्र नगर के वेद एनक्लेव में छिपे होने की सूचना थी। सीबीआई की टीम ने दिन में छापा मारकर अमित कुमार की पत्नी रजनी प्रिया को गिरफ्तार कर लिया। टीम दोपहर बाद बिहार ले जाने के लिए ट्रांजिट रिमांड लेने गाजियाबाद की विशेष अदालत में पहुंची। अदालत ने दो दिन का रिमांड स्वीकार कर लिया। इसके बाद सीबीआई की टीम आरोपी महिला को लेकर पटना के लिए रवाना हो गई।
रजनी के खिलाफ 23 मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है। इससे पहले वह कई मुकदमों में फरार घोषित की जा चुकी है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव होने के नाते रजनी तमाम प्राथमिकी में आरोपी बनाई गई हैं। सीबीआई के अलावा ईडी ने भी उनके खिलाफ पांच मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मुकदमा किया है। सीबीआई ने रजनी की भागलपुर व नोएडा के गार्डेनिया की तमाम संपत्तियां जब्त की हैं। इसके अलावा करीब 26 बैंक खाते, लॉकर आदि भी सील किया है।
सूत्रों की मानें तो रजनी के पति अमित कुमार की मौत हो चुकी है। इसके बाद से ही रजनी कमजोर पड़ी और अंतत: पकड़ी गई। अमित की मौत की जानकारी रजनी ने पूछताछ में सीबीआई को दी है। हालांकि सीबीआई इस जानकारी की तहकीकात में जुटी है। मौत की पुष्टि होने के बाद ही कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करेगी। बता दें कि ईडी ने रजनी प्रिया की भागलपुर शहर स्थित अपार्टमेंट, मकान के अलावा सबौर और भीखनपुर की जमीन जब्त की है। चर्चा यह है कि रजनी के पति अमित की मौत कुछ माह पहले हो गई थी। इसके बाद से वह अर्थाभाव में रहने लगी थी। इधर, सीबीआई की दो-दो विंग उनकी तलाश में लगी थी। अंतत: साहिबाबाद में छिपे होने की पुष्ट सूचना के बादा छापा मारा गया।
सीबीआई कोर्ट से आधे मामले में फरार घोषित
सृजन घोटाले में चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी रजनी प्रिया और उनके पति अमित कुमार की गिरफ्तारी नहीं हो पाने पर सीबीआई कोर्ट ने आधे से ज्यादा मुकदमे में भगोड़ा घोषित किया हुआ है। इश्तेहार वारंट तामिला के लिए सीबीआई कई बार प्राणवती लेन स्थित अवधेश मेंशन पहुंची और डुगडुगी बजाकर दोनों के घर वारंट चस्पां किया। एजेंसी ने दोनों के खिलाफ इनाम भी घोषित कर रखा था। घोटाले के खुलासे के बाद अमित कुमार और रजनी प्रिया पर लुक कॉर्नर तक जारी किया गया, ताकि दोनों विदेश न भाग सकें। दोनों की तस्वीर देश के सभी हवाईअड्डों और अंतरराष्ट्रीय बस स्टैंडों पर चस्पां किए। ताकि कहीं से भी दोनों की भनक एजेंसी को लगे और गिरफ्तार किया जा सके।
रांची, पुणे, मुंबई और गाजियाबाद में छिपी रही
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि गिरफ्तारी के डर से रजनी घोटाले में पहली प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से ही भागलपुर से भाग गई थी। वह रांची गई फिर वहां से पुणे, मुंबई और गाजियाबाद में रहने लगी। सीबीआई को झांसा देने के लिए उसने तमाम मोबाइल नंबर बदल लिए थे और नये नंबर से सीमित लोगों के संपर्क में ही रहने लगी। सीबीआई और ईडी ने कई बार कॉल डिटेल रिपोर्ट के आधार पर लोकेशन की पड़ताल की, लेकिन दोनों राडार पर नहीं आ सके।
केपी रमैया की लिखी चिट्ठी पर तैयार हुई घोटाले की इमारत
भागलपुर के प्रशासनिक इतिहास में आईएएस अधिकारी रहे कुंदरू पालेम रमैया (केपी रमैया) पहले जिलाधिकारी हैं। जो किसी अदालत से भगोड़ा घोषित किए गए हैं। पटना स्थित स्पेशल सीबीआई अदालत ने सृजन घोटाला में पूर्व डीएम केपी रमैया के अलावा सृजन संस्था के किंगपिन स्व. मनोरमा देवी के बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया को भगोड़ा घोषित किया था।
सीबीआई की दर्ज प्राथमिकी 14 ए/2017 में रमैया, रजनी व अमित तीन साल से फरार चल रहे थे। सीबीआई ने इस एफआईआर में 18 मार्च 2020 को 28 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस पर कोर्ट से समन के बावजूद हाजिर नहीं होने पर रमैया समेत 10 लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया था। सीबीआई के खोज के प्रयास के बाद भी रमैया पकड़ से बाहर रहे। आंध्रप्रदेश के नेलौर जिला निवासी केपी रमैया जदयू से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
2014 में उन्होंने वीआरएस लेकर राजनीति ज्वाइन की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें जेडीयू में शामिल कराया था। इसके बाद उन्हें लोस चुनाव में सासाराम से प्रत्याशी बनाया, लेकिन हार गये। 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 1989 में वे पहली ज्वाइनिंग भभुआ के एसडीओ बने। वे बेगूसराय व पटना के डीएम भी रहे। वीआरएस से पहले एससी-एसटी विभाग के प्रधान सचिव थे। इसके साथ ही महादलित आयोग के सचिव भी थे।
रमैया ने ही पत्र लिख सरकारी पैसे रखने के दिए थे निर्देश
सीबीआई की चार्जशीट में बताया गया कि सरकारी खातों को लूटने के लिए सृजन महिला विकास सहयोग समिति ने जो जाल बिछाया था, इसे डीएम रहते हुए केपी रमैया ने ही शह दी थी। उन्होंने सभी सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं को अधिकृत पत्र जारी कर सृजन में पैसा जमा करने के लिए कहा था। सीबीआई का आरोप है कि डीएम रहते हुए केपी रमैया ने 18 दिसंबर 2003 को जिले के सभी बीडीओ, ग्रामीण विकास, पंचायत समिति सदस्य व सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं को एक पत्र लिखा था। पत्र के बाद 2004 से जिले के कई बीडीओ ने सृजन के खाते में राशि जमा की थी।
उन्होंने इस पत्र में कहा था कि उन्होंने निरीक्षण के दौरान पाया कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड का बैंक शाखा जिला केंद्रीय सहकारिता बैंक भागलपुर से संबद्ध है। जो पूर्व के जिलाधिकारी और उप-विकास अधिकारी द्वारा संपुष्ट है। इसलिए समिति के बैंक में सभी तरह के खाता खोलकर इन्हें प्रोत्साहित किया जा सकता है। पूर्व डीएम रमैया ने यह पत्र (पत्रांक-1136 दिनांक 20 दिसंबर 2003 ) को लिखा था। इस पत्र के बाद ही 2004 से जिले के कई बीडीओ ने सृजन के खाते में राशि जमा की। सबौर ब्लॉक परिसर स्थित ट्रायसेम भवन को भी 2004 में तत्कालीन डीएम के आदेश पर उस वक्त रहे सीओ ने सृजन को लीज पर दे दी।
29 एफआईआर में 25 केस में आरोपी हैं अमित व रजनी प्रिया
सृजन एनजीओ की सचिव स्व. मनोरमा देवी ने जीवित हाल में छोटी बहू रजनी प्रिया को सचिव बना दिया। रजनी के सचिव बनने से खफा लोगों ने सृजन खाते से दिए करोड़ों रुपये समय पर नहीं लौटाए। जिससे भू-अर्जन का खाता बाउंस कर गया और तत्कालीन डीएम आदेश तितरमारे ने शक पर जांच से घोटाला सामने आया। सीबीआई ने अब तक 29 एफआईआर दर्ज की है। जिसमें 25 मुकदमे में रजनी प्रिया और उनके पति अमित कुमार नामजद हैं। दोनों पर लुक कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया है। देश के सभी एयरपोर्ट पर तस्वीर भी चस्पा हुई लेकिन कोई अता-पता नहीं चल सका। सीबीआई और ईडी ने दोनों के नाम से तमाम ज्ञात बैंक खाते, 13 चल-अचल संपत्तियां जब्त कर रखी हैं।