बिहार के हजारों किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का पैसा लौटाना पड़ेगा. जांच में इन किसानों को कई कारणों से अयोग्य पाया गया है. ऐसे किसानों की संख्या 81,000 से अधिक है, जिन्हें योजना का पैसा लौटाना होगा. इसे लेकर बिहार सरकार ने बैंकों को पैसा वापस लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है. उन्हें केंद्र सरकार ने आयकर चुकाने या अन्य कारणों से अयोग्य पाया है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Yojna) एक केंद्रीय योजना है जो भारत सरकार से शत प्रतिशत वित्त पोषित है. एक दिसंबर, 2018 से इस योजना के तहत सभी भूमि धारक किसान परिवारों को 6,000 रुपये प्रति वर्ष तीन समान किश्तों में आर्थिक सहायता के रुप में दिये जाते हैं. राज्य सरकारें उन किसान परिवारों की पहचान करती हैं जो योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार सहायता के लिए पात्र हैं और धनराशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजी जाती है.
‘पैसा वापस लाने की प्रक्रिया में लाएं तेजी’
बिहार सरकार के निदेशक (कृषि) आलोक रंजन घोष ने बताया, ‘जांच के बाद केंद्र सरकार ने बिहार में कुल 81,595 किसानों (वर्ष 2020 से) को अयोग्य लाभार्थियों के रूप में पहचान की. राज्य कृषि विभाग ने सभी संबंधित बैंकों से अयोग्य किसानों से धनराशि वापस लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा है. राज्य के 81,595 किसानों से लगभग 81.59 करोड़ रुपये वापस लिए जाने हैं.’
…नहीं तो खाते के लेन-देन पर लगाएं रोक
निदेशक ने कहा, ‘राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की हालिया बैठक में बैंकों के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को अयोग्य किसानों से राशि वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देने को कहा गया है. बैंकों को यह भी सलाह दी गई है कि अगर जरूरी हो तो अयोग्य किसानों को नए सिरे से अनुस्मारक भेजें. इसके अलावा बैंकों को अयोग्य किसानों के खाते से लेन-देन पर रोक लगाने को भी कहा गया है.’
कुछ किसानों से वापस ले लिये गए हैं पैसे
उन्होंने कहा कि कुछ बैंकों ने अब तक अयोग्य लाभार्थी किसानों से 10.31 करोड़ रुपये वापस ले लिए हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण ने भी अयोग्य लाभार्थी किसानों से कुछ राशि वापस ले ली है. उन्होंने कहा, ‘इस योजना के जिन लाभार्थियों को सरकार ने आयकर का भुगतान करने या अन्य कारणों से अयोग्य पाया है, उन्हें अब तक प्राप्त राशि सरकार को वापस करनी होगी.’ घोष ने बताया कि केंद्र सरकार ने देश के छोटे और सीमांत किसानों को न्यूनतम आय सहायता देने के लिए यह योजना शुरू की थी, लेकिन योजना के तहत हजारों अपात्र किसानों को भी राशि बांट दी गयी.
क्यों शुरू की गई थी योजना?
इस योजना का उद्देश्य प्रत्येक फसल चक्र के दौरान उचित फसल रख-रखाव और उचित पैदावार सुनिश्चित करने के लिए छोटे और सीमांत किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करना है. यह उन्हें ऐसे खर्चों को पूरा करने के लिए साहूकारों के चंगुल में फंसने से भी बचाता है और कृषि गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करता है.
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