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‘जिनको पोटेशियम साइनाइड दिखता है वो…’, चंद्रशेखर के बयान पर सामने आई CM नीतीश की पार्टी की प्रतिक्रिया

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव द्वारा धर्म ग्रंथ रामचरितमानस को लेकर दिए गए विवादित बयान पर अब राज्य में सत्ताधारी पार्टी आरजेडी और जेडीयू आमने सामने हैं. जेडीयू ने आरजेडी नेता और मंत्री चंद्रशेखर को नसीहत दी है.

दरअसल चंद्रशेखर यादव ने रामचरितमानस की तुलना पोटेशियम साइनाइड से की है, उन्होंने हिन्दी दिवस पर एक कार्यक्रम के दौरान ये बयान दिया. इस पर अब नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइडेट (जेडीयू) ने पलटवार किया है.

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जेडीयू ने चंद्रशेखर पर किया पलटवार

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर आपत्ति जताते हुए जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा, जिनको रामचरितमानस में पोटेशियम साइनाइड दिखता है वह अपनी विचारधारा खुद तक ही सीमित रखें, इसे पार्टी या INDIA गठबंधन पर थोपने की कोशिश ना करें. उन्होंने कहा कि हम सभी धर्म और उनके धार्मिक ग्रंथों का सम्मान करते हैं, कुछ लोग मीडिया में बने रहने के लिए इस तरह का बयान देते हैं. बीजेपी ने भी बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अगर उन्हें सनातन से इतनी दिक्कत है तो धर्म बदल लें.

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चंद्रशेखर ने क्या कहा था? 

हिंदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान चंद्रशेखर ने कहा था कि पचपन तरह का व्यंजन परोस कर उसमें पोटेशियम साइनाइड मिला दीजिए तो क्या होगा, हिंदू धर्म ग्रंथ का हाल भी ऐसा ही है. बाबा नागार्जुन और लोहिया ने भी टिप्पणी की है. रामचरित मानस को लेकर मेरी आपत्ति है और जीवन भर रहेगी. संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इसपर टिप्पणी कर चुके हैं. शिक्षा मंत्री ने कहा, जब तक गटर में उतरने वालों की जातियां नहीं बदली जाएंगी तब तक इस देश में आरक्षण और जातीय गणना की जरूरत पड़ती रहेगी.

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रामचरितमानस पर पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

ये पहली बार नहीं है जब बिहार के शिक्षमंत्री ने रामचरितमानस को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है. इससे पहले भी वो इस धर्मग्रंथ को समाज को बांटने वाला करार दे चुके हैं.

जनवरी 2023 में नालंदा ओपन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, ‘मनुस्मृति में समाज की 85 फीसदी आबादी वाले बड़े तबके के खिलाफ गालियां दी गईं. रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं. यह नफरत को बोने वाले ग्रंथ हैं.”

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उन्होंने आगे कहा था कि, ‘एक युग में मनुस्मृति, दूसरे युग में रामचरितमानस, तीसरे युग में गुरु गोवलकर का बंच ऑफ थॉट, ये सभी देश को, समाज को नफरत में बांटते हैं. नफरत देश को कभी महान नहीं बनाएगी. देश को महान केवल मोहब्बत ही बनाएगी.’

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स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बताया था बकवास किताब

चंद्रशेखर एकमात्र ऐसे नेता नहीं है जिन्होंने रामचरितमानस को लेकर इस तरह का विवादित बयान दिया है. इस मामले में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य भी आगे रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने इस धर्मग्रंथ को बकवास बताया था.

उन्होंने कहा था कि,  तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए इसे लिखा है. स्वामी प्रसाद ने लंपट, दुराचारी, अनपढ़ गंवार ब्राह्मण को भी पूजनीय बताने और शूद्र के ज्ञानी, विद्वान होने पर भी उसका सम्मान करने वाले अंश का जिक्र करते हुए सवाल किया था कि क्या यही धर्म है?

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स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए इससे विवादित अंश को बाहर करने या इसे बैन करने की मांग की थी. हालांकि समाजवादी पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया था. वहीं यूपी में मौर्य के इस बयान को लेकर कई मुकदमे भी दर्ज हुए थे जिसमें पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दिया है. चार्जशीट में पुलिस ने स्वामी प्रसाद मौर्य को दोषी पाया था.

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