जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज हो गई है। बिहार में बीजेपी ने जहां एनडीए का सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय कर लिया है, वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन में अभी तक कुछ तय नहीं हुआ है। उल्टे विपक्षी गठबंधन में शामिल पार्टियां अपने-अपने स्तर पर दावा दावा ठोक रही हैं। कांग्रेस ने कम से कम 9 तो भाकपा माले ने 4 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने यह चुनौती खड़ी हो गई है कि सीट शेयरिंग कैसे होगी। अगर कांग्रेस 9 और माले 4 सीटों पर लड़ती है तो आरजेडी, जेडीयू एवं अन्य लेफ्ट पार्टियों के खाते में कितनी सीटें आएंगी?
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि उनकी पार्टी बिहार में कम से कम 9 सीटों पर चुनाव तो लड़ेगी। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव (2019) में कांग्रेस जितनी सीटों पर लड़ी थी, आगामी इलेक्शन में उतनी सीटों पर जरूरी लड़ेगी। कांग्रेस ने 2019 में किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, समस्तीपुर, मुंगेर, पटना साहिब, सासाराम, वाल्मीकि नगर और सुपौल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इसमें से उसे सिर्फ किशनगंज में जीत मिली थी।
दूसरी ओर, भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी कम से कम चार सीटों पर 2024 में चुनाव लड़ेगी। उन्होंने आरजेडी को अपना प्रस्ताव सौंप दिया है। चर्चा है कि माले सीवान, जहानाबाद, काराकाट और आरा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने की मांग कर रही है। इसके साथ ही लेफ्ट पार्टियों में शामिल सीपीआई और सीपीएम भी बिहार की तीन-तीन सीटों पर लड़ने की मांग कर रही हैं। दोनों पार्टियां कम से कम दो-दो सीटों पर तो दावा ठोकेगी ही।
बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटें हैं। सूत्रों के मुताबिक आरजेडी और जेडीयू मिलकर 30-32 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती हैं। कांग्रेस ने 9 सीटों पर पहले ही दावा ठोक दिया है। वाम दल भी कम से कम 8 लोकसभा सीटों पर लड़ने का प्लान बना रहे हैं। अगर मुकेश सहनी की वीआईपी और पप्पू यादव की जाप भी विपक्षी गठबंधन में शामिल होती हैं, तो एक-एक लोकसभा सीट उन्हें देनी पड़ेगी। ऐसे में आरजेडी और जेडीयू के पास 21 सीटें ही बचेंगी। लालू यादव और नीतीश कुमार इस पर कम सहमत होंगे।
इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तय नहीं हुआ है। सूत्रों की मानें तो आरजेडी और जेडीयू दोनों प्रमुख दल होने के नेता बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अगर ये दोनों पार्टियां बीजेपी की तरह 30 सीटों पर भी चुनाव लड़ती हैं, तो अन्य सहयोगियों को बाकी की 10 में ही एडजस्ट करना पड़ेगा। कांग्रेस जिस तरह से अपनी जमीन मजबूत करने में लगी है, इससे साफ जाहिर है कि वह 9 से कम सीटों पर मानने वाली नहीं है।
वहीं, लेफ्ट पार्टियों को अगर पर्याप्त सीटें नहीं मिलती हैं तो वह 2024 के चुनाव में विपक्षी गठबंधन से अलग राह पकड़ सकती है। इसका खामियाजा आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस को चुनाव में उठाना पड़ेगा। फिलहाल महागठबंधन यानी इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तय नहीं हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन के नेता आने वाले समय में साथ मिलकर इस पर फैसला लेंगे। मगर इससे पहले ही जिस तरह से पार्टियां अपने स्तर पर सीटों पर दावा ठोक रही हैं, उससे साफ जाहिर है कि विपक्षी गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची होनी तय है।
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