महिला आरक्षण बिल लोकसभा में केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के द्वारा पेश किया गया. बीजेपी, कांग्रेस सहित कई राजनीतिक दलों ने इसका स्वागत किया है. वहीं राजद और सपा की तरफ से इसके प्रावधानों पर सवाल खड़े किए गए हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा है कि संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वह स्वागत योग्य कदम है.
नीतीश कुमार ने लिखा कि हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं. साथ ही उन्होंने कहा है कि हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये.
“यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो…”
बिहार के मुख्यमंत्री ने लिखा है कि प्रस्तावित बिल में यह कहा गया है कि पहले जनगणना होगी तथा उसके पश्चात निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा तथा इसके बाद ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू होंगे. इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए. जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी परन्तु यह अभी तक नही हो सकी है. जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा. यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था.
राजद ने कभी भी महिला आरक्षण का विरोध नहीं किया : RJD
वहीं राष्ट्रीय जनता दल के नेता शिवानन्द ने कहा है कि राष्ट्रीय जनता दल ने कभी महिला आरक्षण का विरोध नहीं किया है. हम हमेशा सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी का समर्थक रहे हैं. इस मामले में हमारा रुख़ शुरू से ही एक रहा है. हम सिर्फ़ महिलाओं के आरक्षण के भीतर पिछड़ी जाति के महिलाओं के लिए आरक्षण चाहते हैं. इसके पूर्व भी जब महिलाओं के आरक्षण का मामला आया है हमने इसी संशोधन के साथ उसके समर्थन का एलान किया है.
लेकिन जब हम लोक सभा के चुनाव में जाने वाले हैं उस समय अचानक संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण के बिल को पेश करने का मक़सद क्या है.! वह भी जब इस आरक्षण को अभी लागू नहीं किया जा सकता है! ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री जी अचानक महिलाओं के मामले में संवेदनशील हो गये हैं. अभी हाल में हमने महिला पहलवानों के मामले में मोदी सरकार की संवेदनहीनता को देखा है.
दरअसल यह विपक्षी एकता इंडिया के गठन की वजह से बेचैनी है. इसलिए संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण के सहारे मोदी जी लोकसभा चुनाव की वैतरणी पार करना चाहते हैं. लेकिन इस आरक्षण के भीतर पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं करके मोदी सरकार ने अपना पिछड़ा विरोधी चरित्र ही उजागर किया है.
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