शिक्षा विभाग को BPSC चेयरमैन की खरी-खोटी; कहा- दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं, भविष्य में इस तरह के पत्राचार की धृष्टता न की जाये
बिहार में शिक्षा विभाग की अब बीपीएससी से ठन गई है। उच्च माध्यमिक निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने मंगलवार को बीपीएससी को पत्र लिखकर शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों की जांच में शिक्षकों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तैनाती पर आपत्ति जताई थी। इसके जवाब में शुक्रवार को बीपीएससी के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया। साथ ही आयोग के सचिव की ओर से जवाबी पत्र भेजा गया। आयोग के कार्य में हस्तक्षेप नहीं करने की हिदायत भी शिक्षा विभाग को दी गई है। बीपीएससी ने पत्र लिखने को शिक्षा विभाग की धृष्टता करार दिया है। यही नहीं, भविष्य में ऐसी धृष्टता नहीं करने की चेतावनी भी दी है। हाला़ंकि फिलहाल शिक्षा विभाग की ओर से अबतक बीपीएससी के इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
शिक्षा विभाग को लिखे पत्र में आयोग के सचिव रवि भूषण ने कहा है शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्रों की जांच पूर्व से चली आ रही व्यवस्था के तहत की जा रही है। यह दो स्तरों पर होती है। एक बीपीसएसी अपने स्तर से जांच करती है और दूसरे अधियाची विभाग करता है, जो सफल अभ्यर्थियों के नियोजन के समय किया जाता है। बिना अपने स्तर से सत्यापन कार्य के आयोग के द्वारा न कोई अनुशंसा भेजी जा सकती है ना ही कोई डोसियर। सत्यापन कार्य में राज्य सरकार सहयोग करती रही है और इसके लिए किस विभाग के किस पदाधिकारी और कर्मी को प्रतिनियुक्त किया जाए, यह राज्य सरकार का विषय है। इस संबंध में कोई भी आपत्ति या अनुरोध राज्य सरकार से किया जाना चाहिए।
आयोग शिक्षा विभाग या सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं
आयोग ने स्पष्ट किया है कि सत्यापन कार्य बीपीसएसी का आंतरिक मामला है। बिहार लोक सेवा आयोग शिक्षा विभाग या राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन नहीं है। शिक्षा विभाग को सलाह देते हुए आयोग के सचिव ने कहा कि यह स्पष्ट न हो तो इसके लिए संविधान का अध्ययन कर लिया जाए। आयोग की आंतरिक प्रक्रिया पर औचित्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करना या किसी प्रकार का हस्तक्षेप करना और दबाव डालने का प्रयास करना असंवैधानिक, अनुचित और अस्वीकार्य है। बीपीएससी के सचिव ने आश्चर्य जताया है कि विभाग इन सब प्रावधानों को जानते हुए भी बिना प्रमाण पत्रों के सत्यापन के ही आयोग से नियुक्ति की अनुशंसा की अपेक्षा कर रहा है।
आयोग के अध्यक्ष का कड़ा ट्वीट
शुक्रवार को आयोग के अध्यक्ष अतुल प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि सरकार अपने अधिकारियों को प्रतिनियुक्त करती है और बाद में उन्हें बदल देती है। इससे हमें किसी प्रकार की चिंता नहीं होती है। बिना नाम लिये शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को निशाने पर लेते हुए उन्होंने आगे लिखा है, ‘लेकिन ऐसे तत्वों की बात करें जो टीआरई-डीवी (टीचर रिक्यूटमेंट एक्जामिनेशन- डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन) रद्द कराने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें और ज्यादा कोशिश करनी चाहिए।
शिक्षा विभाग का पत्र
मंगलवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने बीपीएससी के सचिव को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों, कर्मियों और शिक्षकों को शिक्षक अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र सत्यापन कार्य से अलग करने का आग्रह किया था। कहा था इस बाबत प्रतिनियुक्ति किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है और न ही यह शिक्षा हित में है। अविलंब इस कार्य से उन्हें मुक्त किया जाय। उसके बाद बुधवार को मुख्य सचिव ने सभी डीएम को पत्र भेजकर शिक्षा विभाग के अफसरों, शिक्षकों को सत्यापन कार्य से अलग करने को कहा था।
सत्यापन जारी, 12 सितंबर तक चलेगा
चार सितंबर से शिक्षक नियुक्ति के लिए माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्रों की जांच की जा रही है। इसमें फिलहाल किसी तरह की रुकावट नहीं आई है। शुक्रवार को भी प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया गया। सत्यापन का कार्य 12 सितंबर तक लगातार चलेगा। सभी विषयों के लिए अलग-अलग दिन निर्धारित किया गया है। वहीं आयोग के अधकारियों की मानें तो सत्यापन का कार्य समाप्त होने के कुछ दिनों के अंदर ही रिजल्ट भी जारी कर दिया जाएगा।