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बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ा सकती है नीतीश सरकार? शीतकालीन सत्र में जातीय गणना रिपोर्ट पर होगी चर्चा

बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 6 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। नीतीश सरकार द्वारा जातीय गणना रिपोर्ट जारी करने के बाद पहली बार विधानसभा और विधान परिषद दोनों सदनों की बैठक होगी। ऐसे में आगामी सत्र बिहार की राजनीति के लिहाज से काफी अहम रहने वाला है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार जाति गणना के आंकड़ों को सदन में पेश करेगी। इस पर पक्ष और विपक्ष के बीच चर्चा होगी। जाति गणना रिपोर्ट के आधार पर सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर भी विचार कर सकती है। दूसरी ओर, बीजेपी समेत अन्य विपक्षी दल लगातार जातिगत सर्वे के आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसे में शीतकालीन सत्र के दौरान इस मुद्दे पर भारी गहमागहमी होने के आसार हैं।

राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर के आदेश के बाद राज्य के संसदीय कार्य विभाग की ओर से सोमवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। इसके मुताबिक बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 6 नवंबर से शुरू होगा और 10 नवंबर तक चलेगा। 6 नवंबर को सुबह 11 बजे सत्र की पहली बहैठक होगी। पांच दिन चलने वाले शीतकालीन सत्र में 7 और 8 नवंबर को नीतीश सरकार द्वारा नए बिल सदन के पटल पर रखे जाएंगे। 9 नवंबर को दूसरे सप्लीमेंट्री बजट पर चर्चा होगी। इसके बाद 10 तारीख को सत्र की समाप्ति होगी।

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आरक्षण का दायरा बढ़ाएगी नीतीश सरकार?

नीतीश सरकार द्वारा 2 अक्टूबर को जारी की गई जातीय गणना की रिपोर्ट पर बिहार में सियासी घमासान जारी है। जातिगत सर्वे के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद पहली बार विधानमंडल का सत्र आयोजित होने जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही कह चुके हैं कि इस सर्वे की रिपोर्ट को सदन में सभी सदस्यों को देकर उस पर चर्चा की जाएगी। जाति गणना रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण का दायरा बढ़ाने के सवाल पर सीएम ने कहा था कि वह सदन में चर्चा से पहले इस पर कोई फैसला नहीं ले सकते हैं।

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उन्होंने कहा कि हम सभी की सुनेंगे और फिर तय करेंगे कि आगे क्या करना है। सरकार को करना चाहिए वो किया जाएगा, लेकिन पहले से ही कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। जातिगत सर्वे कराने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया था।

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जातिगत गणना के आंकड़ों पर एक नजर

नीतीश सरकार द्वारा जारी जातीय गणना के मुताबिक पिछड़ा वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा 63.13 फीसदी है है। इनमें से अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी 27.12 फीसदी और अति पिछड़ा यानी ईबीसी वर्ग के लोग 36.1 फीसदी है। सर्वे जारी होने के बाद से कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्य सरकार पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का दायरा बढ़ा सकती है।

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पीएम मोदी की जाति पर बिहार में घमासान, गिरिराज सिंह का नीतीश सरकार पर हमला

सरकार में शामिल आरजेडी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग कर चुके हैं। पिछले दिनों लालू ने कहा था कि जिस जाति की जितनी संख्या आई है, उसी अनुपात में आरक्षण भी बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा जाति गणना रिपोर्ट पर चर्चा के लिए सीएम नीतीश की अध्यक्षता में आयोजित हुई सर्वदलीय बैठक में भी महागठबंधन के घटक दलों ने यह मांग रखी। इसके अलावा विपक्षी दल बीजेपी ने भी कमजोर और वंचित वर्ग के लिए आरक्षण का दायरा बढ़ाने की वकालत की।

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