संपूर्ण क्रांति के लोकनायक जयप्रकाश नारायण को 121वीं जयंती के मौके पर याद किया जा रहा है. जयप्रकाश नारायण ने बिहार की धरती से संपूर्ण क्रांति का आह्वान किया था. आंदोलन पूरे देश में आग की तरफ फैल गई थी. इंदिरा गांधी द्वारा देश में लगाए गए आपातकाल के खात्मे में और फिर लोकतंत्र बहाल करने वाले नायक के रूप में जयप्रकाश नारायण आज भी याद किए जाते हैं.
‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ :
जयप्रकाश नारायण ऐसे शख्स के रूप में उभरे, जिन्होंने पूरे देश में आंदोलन चलाया. जेपी के विचार दर्शन और व्यक्तित्व ने पूरे जनमानस को प्रभावित किया. लोकनायक शब्द को जेपी ने चरितार्थ भी किया और संपूर्ण क्रांति का नारा भी दिया. 5 जून 1974 को विशाल सभा में पहली बार जेपी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’. ऐतिहासिक संपूर्ण क्रांति से प्रभावित होकर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने ये नारा दिया था. दिनकर की कविता का असर जन मानस में व्यापक था. महान कवि दिनकर ने भी आंदोलन को समर्थन दिया था, हालांकि वह जेपी के साथ किसी मंच पर नहीं आए, फिर भी आंदोलन को अपने कलम की धार के जरिए ताकत दिया.
”सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है.”
बिहार में जन्में थे लोकनायक जेपी:
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे एक छोटे से गांव सिताबदियारा में हुआ था. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हासिल की थी इसके बाद सातवीं क्लास में उनका दाखिला पटना में कराया गया था. बचपन से ही मेधावी जयप्रकाश को मैट्रिक की परीक्षा के बाद पटना कॉलेज के लिए स्कॉलरशिप मिली थी. जेपी पढ़ने के दौरान से ही गांधीवादी विचारों से प्रभावित थे और स्वदेशी सामानों का इस्तेमाल करते थे. वह हाथ से सिला कुर्ता और धोती पहनते थे. इनके लिए रामधारी सिंह दिनकर ने लिखा है कि- ”है जयप्रकाश वह नाम जिसे, इतिहास समादर देता है, बढ़कर जिसके पदचिह्नों को उर पर अंकित कर लेता है.”
संपूर्ण क्रांति के जनक :
भारतीय इतिहास में यह क्रांति एक अहम मोकाम रखती है. राजनीतिक विचारक जय प्रकाश नारायण ने छात्रों के बीच तत्कालीन व्यवस्था और सरकार के खिलाफ आंदोलन की ऐसी मशाल जलाई कि उसकी चिंगारी पूरे देश में फैल गई. जेपी ने संपूर्ण क्रांति की विचारधारा से छात्र आंदोलन को एक जन आंदोलन में बदल दिया. अपने ही देश की सरकारी व्यवस्था के खिलाफ शुरू किया गया यह पहला अनोखा आंदोलन था जिसे देश और दुनिया ने हाथों हाथ लिया.
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