लालू के MLA ने नीतीश के कृषि रोड मैप पर उठाया सवाल; पहले तीन हो चुके फेल, अब आंकड़े की हेरा फेरी…
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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों की मौजूदगी में बिहार सरकार का चौथा कृषि रोडमैप का पटना में लोकार्पण किया। अब लालू यादव की पार्टी आरजेडी के विधायक सुधाकर सिंह ने इस पर सवाल खड़ा कर दिया है। पूर्व कृषि मंत्री ने कहा है कि पहले तीन कृषि रोड मैप फेल हो गए हैं। इसमें आंकड़ों में हेरा फेरी की गयी है। सुधाकर सिंह से पहले बीजेपी के नेता विजय कुमार सिन्हा और सुशील कुमार मोदी भी नीतीश सरकार के चतुर्थ कृषि रोड मैप पर कहा कि यह चुनावी छलावा है।
नीतीश कुमार पर ताबड़तोड़ जुबानी हमला करने को लेकर चर्चित आरजेडी विधायक सुधाकर सिंह कृषि मंत्री का पद गंवा चुके हैं। उनक पिता जगदानंद सिंह, राजद प्रदेश अध्यक्ष भी बेटे का पद वापस नहीं दिला सके। लेकिन सुधाकर सिंह की जुबान नीतीश कुमार के बारे में बंद नहीं हुई है। अब उन्होंने चौथे कृषि रोड मैप की सफलता पर भी सवाल उठा दिया है।
चौथे कृषि रोड मैप पर पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने अपने बयान में कहा है कि MSP पर खरीद में भी आंकड़े की हेरा-फेरी है। उन्होंने सरकार से कहा है कि आप मंडी कानून की कोई बात नहीं करते हैं। तीन कृषि रोड मैप तो पूरी तरह से फेल हैं। राज्यपाल ने कल मेरी बातों को सत्यापित किया है। महामहिम राज्यपाल ने मंच से कहा कि कृषि रोड मैप सिर्फ कागजों में ही ना रह जाए बल्कि धरती पर उतारा जाए। ये बातें पहले मैं यह सब बातें कह चुका हूं।
उन्होंने कहा है कि राज्य से किसानों का पलायन हो रहा है। इसके लिए कौन जिम्मेवार है। सुधाकर सिंह ने कहा कि वास्तविक सच्चाई क्या है इसे जानना है तो किसानों के बीच जाकर आप उनका बयान ले लें तब असलियत का पता चल जायेगा कि बिहार में क्या हो रहा है। बुधवार को रोड मैप के लोकार्पण के मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने किसानों के फायदे के बड़े बड़े दावे किए थे। शुक्रवार को तेजस्वी यादव की पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री के दावों का हवा निकाल दी।
पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार में किसानों की आमदनी पंजाब के किसानों के मुकाबले 3.5 से चार गुणा कम है। इसकी बड़ी वजह यह है कि बिहार में एमएसपी पर खरीद नहीं होती है। मंडी नहीं होने से किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है लेकिन इस पर कोई बात नहीं हो रही है। नतीजा यह है कि किसानों का पलायन हो रहा है और यह आगे भी होता रहेगा।