बिहार: गर्भनिरोधक ऑपरेशन के 10 साल बाद भी मां बन गई महिला, इस कारण अस्पताल में ही बच्चा छोड़ गई
बिहार के पश्चिमी चंपारण में एक महिला परिवार नियोजन का ऑपरेशन कराने के 10 साल बाद फिर से मां बन गई। चनपटिया अंतर्गत चुहड़ी गांव निवासी रामबाबू कुमार की पत्नी नीतू देवी (37) ने बच्ची को जन्म दिया। स्वास्थ्य विभाग से नाराज महिला ने नवजात बच्ची को अस्पताल में ही छोड़ दिया। उसके चार बच्चे पहले से हैं। बताया कि पांच बच्चों के पालन-पोषण में असमर्थ है।
चनपटिया सीएचसी प्रभारी और थानाध्यक्ष ने पहल की तो महिला ने वहां से बच्ची को ले लिया लेकिन घर ले जाने की बजाय सीएचसी परिसर में ही बलुआ रमपुरवा की ममता रीना कुमार को बच्ची को सौंप दिया। चनपटिया सीएचसी में ही 10 साल पूर्व महिला का बंध्याकरण ऑपरेशन हुआ है। अब उसी में उसने बच्ची को जन्म दिया। गरीबी की मार झेल रही महिला को एक और बच्ची स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण हुई। सीएचसी प्रभारी डॉ.प्रदीप कुमार ने बताया कि इसकी सूचना चनपटिया थानाध्यक्ष मनीष कुमार को दे दी गई है।
गरीबी का मार से महिला हुई कठोर
नीतू देवी ने बताया के मुझे पहले से तीन पुत्री और एक पुत्र है। चौथी संतान पुत्र के जन्म के छह महीने बाद मैंने चनपटिया सीएचसी में बंध्याकरण कराया था। फिर भी मैं गर्भवती हो गई। आमदनी का कोई खास जरिया नहीं है। सुबह-भोजन करने के बाद शाम के लिए सोचना पड़ता है। ऐसे में पांचवीं संतान को हमलोग कैसे पाल सकते हैं। हमलोगों की स्थिति नहीं है कि पांच-बच्चों का लालन-पालन कर सकें। इसी वजह से मैंने उसे सीचएसी में ही यह सोचकर छोड़ दिया कि कोई ले जाकर उसे पाल लेगा। मुखिया के समझाने-बुझाने पर नीतू ने सीएचसी में आकर स्वास्थ्यकर्मी से बच्ची ले ली।
अंकिता रानी व बेबी कुमारी से बच्ची को ले लिया। उसने बताया कि मैंने बच्ची वहां से ले लिया लेकिन सीएचसी परिसर में ही ममता को सौंप दिया। थानाध्यक्ष मनीष कुमार ने बताया कि बच्ची आशा को सौंपने की जानकारी मुझे नहीं है। इसकी जानकारी ली जा रही है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
बंध्याकरण के बाद गर्भवती होना रीकैनलाइजेशन (पुनरावर्तन) से होता है। बंध्याकरण में प्रयुक्त बैंड कभी-कभार अपने-आप खुल जाता है। इससे भी गर्भ ठहर जाता है। ऐसा मामला हजार में एक ही होता है।- डॉ. प्रदीप कुमार, प्रभारी, चनपटिया सीएचसी