समस्तीपुर Town

नजर हर खबर पर…

BiharNEWS

बिहार में 75% आरक्षण को पटना हाई कोर्ट में चुनौती, याचिकाकर्ता ने इसकी संवैधानिक वैधता पर उठाए सवाल

बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट को सरकार ने विधानमंडल में पेश किया और इस रिपोर्ट को आधार बनाते हुए प्रदेश में आरक्षण के दायरे को 60 प्रतिशत से बढ़ाकर अब 75 प्रतिशत कर दिया गया. 10 नवंबर को बिहार विधानमंडल में इससे जुड़ी संशोधन बिल को पास करने के बाद राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया. राज्यपाल ने इसपर मुहर लगा दी और पूरे राज्य में सरकार ने सरकारी नौकरी व दाखिलों के लिए आरक्षण के नये दायरे को लागू कर दिया. एकतरफ जहां बिहार में आरक्षण के नये दायरे को लेकर सियासी घमासान मचा है वहीं दूसरी ओर इसे अदालत में अब चुनौती दे दी गयी है. पटना हाईकोर्ट में आरक्षण के नये दायरे के खिलाफ अर्जी दाखिल की गयी है. एक जनहित याचिका दायर करके इसके संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गयी है.

याचिककर्ता का क्या है दावा..

जानकारी के अनुसार, बिहार में लागू 75 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ जो PIL दायर किया गया है उसमें याचिककर्ता ने दावा किया है कि आरक्षण की सीमा को संविधान के नियमों के खिलाफ जाकर बढ़ाया गया है. याचिकाकर्ता के अनुसार, संविधान में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है. बिहार सरकार की ओर से आरक्षण का बढ़ाया गया दायरा संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है.

IMG 20231027 WA0021

बिहार में अब 60 से बढ़कर 75 प्रतिशत आरक्षण

बता दें कि बिहार सरकार ने राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में अब आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत कर दिया है. इससे जुड़े बिल को बिहार विधानमंडल से सर्वसम्मति से पास किया गया और फिर राज्यपाल ने इसे मंजूरी दे दी जिसके बाद इसे सरकार ने प्रदेश में लागू कर दिया है. विपक्षी दल भाजपा ने भी इस आरक्षण दायरे का समर्थन किया है. आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोनों सदनों में इस आरक्षण दायरे को बढ़ाने के फैसले के पीछे की वजह को बताया था.

IMG 20231106 WA0030IMG 20230604 105636 460

आरक्षण का दायरा बढ़ाने के पीछे की वजह..

सीएम नीतीश कुमार ने सदन में कहा था कि हमने ऑल पार्टी मीटिंग में ही यह कह दिया था कि जातीय सर्वे में हर वर्ग और जाति के लोगों की आर्थिक स्थिति भी पता की जाएगी. अब रिपोर्ट सामने आ गयी है और उसके हिसाब से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आबादी के 100 प्रतिशत के हिसाब से 22 प्रतिशत आरक्षण देना होगा. अब आरक्षण का दायरा 60 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत किया जा रहा है. इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) का 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्व की तरह यथावत रहेगा. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. संशोधित आरक्षण सीमा में अब अनुसूचित जाति को 20%, अनुसूचित जनजाति को 2%, पिछड़ा वर्ग को 18%, और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 25% आरक्षण मिलेगा. जबकि EWS का 10% आरक्षण बरकरार रहेगा.

IMG 20231110 WA0063 01

9वीं अनुसूची में शामिल करने की उठी मांग..

बता दें कि बिहार सरकार ने आरक्षण के नये दायरे को लागू करने के ठीक बाद से इसे कवच पहनाने की कोशिश शुरू कर दी थी. संविधान की नौवीं अनुसूची में बिहार के 75 प्रतिशत आरक्षण को शामिल करने के लिए केंद्र के पास प्रस्ताव भी कैबिनेट से पास कराकर भेजा गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव लगातार इसकी मांग करते रहे हैं. रविवार को भी सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम ने इस मांग को दोहराया है. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने रविवार को राजद के राज्य कार्यालय के कर्पूरी सभागार में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में इसे फिर दोहराया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आरक्षण की जो बढ़ी हुई लिमिट तय की है,उसमें किसी तरह की छेड़छाड़ न हो, इसके लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है. इसमें मांग की है कि राज्य के जातीय आरक्षण के प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाये. बता दें कि संविधान की 9वीं अनुसूची में इसे शामिल करने के बाद इसे अदालत में चुनौती नहीं दिया जा सकता है.

IMG 20230324 WA0187 01IMG 20230728 WA0094 01IMG 20230701 WA0080IMG 20231101 WA0035 01Samastipur Town 01IMG 20230818 WA0018 02