बिहार में जातिवार गरीबी के आंकड़े जारी, 34 फीसदी परिवार 6000 रुपये से कम में कर रहे गुजारा
नीतीश सरकार ने बिहार विधानसभा में जाति एवं आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की करीब एक तिहाई आबादी गरीब है। सूबे के 34.13 फीसदी परिवारों की मासिक आय महज 6 हजार रुपये है। सरकार ने इन्हें गरीबी की श्रेणी में डाला है। एसटी वर्ग में आने वालीं मुसहर भुइया जैसी जातियों में गरीबों की संख्या सबसे ज्यादा है। राज्य में लगभग 64 परिवार हर महीनें 10 हजार रुपये या उससे कम में गुजारा चला रहे हैं।
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में नीतीश सरकार ने हालिया जाति गणना सर्वे की रिपोर्ट सदन की पटल पर रखी। मंगलवार को सरकार ने जाति के साथ ही आर्थिक आधारित गणना के आंकड़े भी जारी किए। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में कुल 2.76 करोड़ परिवारों की गणना हुई है। इसमें से 94.42 लाख यानी 34.13 फीसदी परिवार ऐसे हैं, जो मुफलिसी में अपना जीवन काट रहे हैं।
बिहार में जाति गणना के दौरान हुए आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट-
आय परिवारों का प्रतिशत
6000 रुपये तक 34.13%
6000 से 10 हजार तक 29.61%
10 हजार से 20 हजार तक 18.06%
20 हजार से 50 हजार तक 9.83%
50 हजार से अधिक 3.90%
आय की जानकारी नहीं देने वाले परिवार 4.47%
वर्गवार गरीबी के आंकड़े-
वर्ग गरीबों की संख्या
सामान्य वर्ग 25.09%
पिछड़ा वर्ग 33.16%
अति पिछड़ा वर्ग 33.58%
अनुसूचित जाति 42.93%
अनुसूचित जनजाति 42.70%
अन्य जातियां 23.72%
जातिवार गरीबी के आंकड़े-
जाति गरीबों की संख्या
दुसाध, धारी, धरही 39%
चमार,मोची 42%
मुसहर 54%
पान, सवासी, पानर 36%
पासी 38%
धोबी, रजक 35%
भुइया 53%
चौपाल 39%
यादव 35%
कुशवाहा, कोइरी 34%
कुर्मी 30%
बनिया 24%
ब्राह्मण 25.32%
भूमिहार 27.58%
राजपूत 24.89%
कायस्थ 13.83%
शेख 25.84%
पठान (खान) 17.61%
तेली 29.87%
मल्लाह 34.56%
कानू 32.99%
धानुक 34.35%
नोनिया 35.88%
चंद्रवंशी (कहार) 34.08%
नाई 38.37%
बढ़ई 27.71%
प्रजापति (कुम्हार) 33.39%