वीणा देवी के चिराग गुट में लौटते ही पशुपति पारस का बड़ा फैसला, रालोजपा संसदीय बोर्ड को किया भंग
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी नेता रामविलास पासवान के राजनीतिक उत्तराधिकार की लड़ाई तीखी और मजेदार होती जा रही है। 2019 में लोजपा के टिकट पर चुने गए 6 सांसदों का स्कोर अब चिराग पासवान ने 4-2 कर दिया है जिसके बाद उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भंग कर दिया है। दो दिन पहले पार्टी स्थापना दिवस पर पशुपति पारस के साथ लोजपा तोड़ गए पांच सांसदों में एक वैशाली की एमपी वीणा देवी चिराग पासवान गुट वाली लोजपा में लौट आई थीं।
पशुपति पारस ने 2021 में जब लोजपा को तोड़कर चिराग पासवान को अकेला छोड़ दिया था तब वीणा देवी को ही चिराग की जगह पर संसदीय बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष के ही पार्टी छोड़ने के बाद पारस के पास बोर्ड को भंग करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। वीणा के पति जेडीयू के एमएलसी हैं और जब लोजपा टूटी थी तो चिराग पासवान ने इसके पीछे जेडीयू का हाथ भी बताया था। कहा गया था कि जेडीयू के मौजूदा अध्यक्ष ललन सिंह इस टूट के सूत्रधार हैं।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बताया कि रालोजपा अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय संसदीय बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया है। अग्रवाल ने बताया कि पारस जल्द ही केंद्रीय संसदीय बोर्ड का गठन करेंगे। आपको याद दिला दें कि जब पारस ने पार्टी तोड़ी थी तब पारस के साथ लोजपा के चार सांसद महबूब अली कैसर, चंदन सिंह, प्रिंस राज और वीणा देवी ने चिराग पासवान का साथ छोड़ दिया था। पारस को रामविलास पासवान की जगह पर मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी मिला।
लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है तो ये दिखने लगा है कि बीजेपी चिराग की तरफ झुकी है और पारस का पलड़ा हल्का पड़ रहा है। माना जाता है कि सांसद भले पारस के साथ चले गए थे लेकिन चुनावी राजनीति में रामविलास पासवान के वोटर चिराग की ही सुनेंगे। वीणा देवी की पारस कैंप छोड़कर चिराग के पास घर वापसी में अगर कोई चुनावी संकेत छिपा है तो ये माना जा सकता है कि बीजेपी गठबंधन में चाचा-भतीजा दोनों को भले साथ रखे लेकिन सीट चिराग के खाते में ज्यादा डाल सकती है।