लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में कुछ ज्यादा गहमागहमी देखने को मिल रही है. चुनाव से ठीक पहले बिहार में जातीय जनगणना और आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंच तैयार कर दिया है. मंडल बनाम कमंडल की इस नए मंच में जातिगत राजनीति को चरम पर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. इसी कड़ी में जेडीयू की ओर से आज यानी रविवार (26 नवंबर) को पटना में भीम संसद का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के जरिए जेडीयू ने दलितों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला और यह बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि आधुनिक युग में वही दलितों के मसीहा हैं.
भीम संसद में आई भीड़ देखकर मुख्यमंत्री नीतीश गदगद हो गए. उन्होंने इसके लिए मंत्री अशोक चौधरी की जमकर तारीफ की. भीड़ देखकर मुख्यमंत्री इतना खुश हो गए कि उन्होंने अब कोई भी काम हो, तो बताइएगा.. हम तो घूमते ही रहते हैं. हम लोग तो आपका काम करते ही रहते हैं. आगे भी करते रहेंगे. आपका कोई काम हो बताना, हम लोग उसे पूरा करेंगे. मुख्यमंत्री ने इस दौरान मीडिया पर मोदी सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बिना प्रचार के इतनी बड़ी संख्या में लोग आए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने सबके हित में काम किया है. हम लोगों ने बिहार में जाति आधारित गणना कराई, जिसमें सभी जातियों की आबादी का पता चल गया. जिसमें कई जातियों की आबादी बढ़ गई और अब उसी हिसाब से आरक्षण भी बढ़ा है. अब अनुसूचित जाति का आरक्षण 16% की बजाय 20% किया। एसटी के लिए 1 परसेंट की बजाय 2 परसेंट किया। पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए 12% की बजाय 18% और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के लिए 18 फीसदी की बजाय 25% आरक्षण किया.
कार्यक्रम में महिलाओं को देखकर भी मुख्यमंत्री नीतीश काफी खुश हुए. उन्होंने कहा कि आज इस कार्यक्रम में कितनी ज्यादा संख्या में महिलाएं और लड़कियां आई हैं. गांव से लेकर शहर तक विकास हुआ. पहले तो महिलाएं घर से निकल ही नहीं पाती थीं. मुस्लिम वर्ग और महादलित वर्ग के लिए हम लोगों ने बहुत काम किया. हम लोगों ने टोला सेवक और सरकारी मरकज को सरकारी रूप में रखा है. सबको सरकारी हमने दे दिया है. आज जितना पैसा दे रहे हैं, अगले साल और बढ़ा देंगे. कितना खुशी है सबलोगों को.
भीम संसद में सीएम नीतीश ने कहा कि बहुत दिनों तक केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार किया, लेकिन अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलानें के लिए अभियान चलेगा. अगर स्पेशल स्टेट का दर्जा मिल जाए तो बिहार का विकास 5 की बजाय 2 साल में हो जाएगा.
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