75 फीसदी आरक्षण के खिलाफ बीजेपी के इशारे पर डाली गई हाईकोर्ट में याचिका, तेजस्वी यादव भड़के
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने 75 फीसदी आरक्षण के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। तेजस्वी ने शनिवार को कहा कि पटना हाईकोर्ट में बीजेपी के इशारे पर नए आरक्षण कानून के खिलाफ याचिका डाली गई है। उन्होंने बीजेपी को दलित और अति पिछड़ा विरोधी करार दिया है। बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ याचिका पर नीतीश सरकार को जवाब तलब किया है। हालांकि अदालत ने इस पर रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है।
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि बीजेपी गरीब, दलित और पिछड़ा एवं अति पिछड़ा विरोधी पार्टी है। महागठबंधन सरकार ने बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया तो वरिष्ठ भाजपा नेता ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। इसके महज तीन दिन के बाद ही पटना हाईकोर्ट में नए आरक्षण कानून के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह सब बीजेपी के इशारों पर हुआ है।
महागठबंधन की बिहार सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 75% कर दिया तो वरिष्ठ BJP नेता ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि 75% आरक्षण के विरुद्ध कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।
3 दिन बाद ही बीजेपी के इशारों पर याचिका दायर कर दी गयी।
बीजेपी के इशारों पर जाति आधारित सर्वे रुकवाने के लिए… pic.twitter.com/oTgUDJgfYQ
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) December 2, 2023
बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण के खिलाफ याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई की। अदालत ने फिलहाल नीतीश सरकार के राज्य में एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, अदालत ने नीतीश सरकार से इस पर जवाब मांगा है। 12 जनवरी तक हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
बिहार में हुई जातिगत गणना के आंकड़े जारी होने के बाद नीतीश सरकार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का बिल लेकर आई थी। इसके तहत एससी, एसटी, ओबीसी और ईबीसी वर्ग के आरक्षण की लिमिट को 50 से बढ़ाकर 65 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव दिया गया। साथ ही कहा गया कि ईडब्लूएस को 10 फीसदी आरक्षण अलग से मिलता रहेगा। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से विधानमंडल के दोनों सत्रों से पारित किया गया। बीजेपी ने भी इस बिल को समर्थन दिया था। इस तरह राज्य में अब कुल आरक्षण की लिमिट बढ़कर 75 फीसदी कर दी गई है।