लोकसभा चुनाव 2024 के कुछ माह पहले ललन सिंह के पद छोड़ने के बाद नीतीश कुमार जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। इधर बीजेपी समेत एनडीए के घटक दल ललन सिंह की नाराजगी और जदयू में टूट का दावा कर रहे हैं। इन सबके बीच उनका बड़ा बयान सामने आया है। ललन सिंह ने कहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से वे खुद हटे हैं। नीतीश कुमार अध्यक्ष बने रहने के लिए उनपर भावनात्मक दवाब बना रहे थे लेकिन प्रयास करके उन्हें मनाया।
चुनाव से ठीक पहले जेडीयू में हुए बड़े बदलाव को समय की मांग बताते हुए कहा उन्होंने कि सबकुछ उनकी सहमति से हुआ। उन्होंने जनता दल यूनाइटेड में किसी गुटबाजी से इनकार किया। लालू से मिलकर पार्टी तोड़ने के आरोपों को ललन सिंह ने खारिज कर दिया। कुछ मीडिया पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका स्क्रिप्ट भाजपा के दफ्तर में तैयार होता है। इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को रोल नहीं दिए जाने पर भी अपनी राय दी।
एक न्यूज चैनल के साथ इंटरव्यू में ललन सिंह ने कहा कि 30 जुलाई 2021 को पहली बार जेडीयू का अध्यक्ष बना। नीतीश कुमार ने जब इसका प्रस्ताव किया तो साफ कह दिया कि मुझे छोड़ दीजिए। मुख्यमंत्री बार बार कहने लगे तो मैंने हाथ जोड़कर कहा कि मुझ पर दबाव मत दीजिए। इसपर नीतीश कुमार नाराज हो गए और पांच दिनों तक बात नहीं की। उनके सख्त आदेश को उस समय स्वीकार कर लिया। साल 2022 के दिसंबर में पार्टी की सदस्यता के बाद चुनावी प्रक्रिया चल रही थी। उस समय भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन करना था। रिटर्निंग अफसर अनिल हेगड़े थे।
उन्होंने बताया कि नीतीश जी ने कहा है कि आप नामांकन पर दस्तखत कर दीजिए। मैंने कहा कि मुझे अध्यक्ष बनने की इच्छा नहीं है इसलिए दस्तखत नहीं करूंगा। फिर नीतीश कुमार ने बुलाया और कहा कि आप नामांकन नहीं करेंगे तो प्रस्तावक पर मैं भी दस्तखत नहीं करूंगा। एक बार फिर पार्टी के बड़े नेता का जिनसे मेरे 37 साल के संबंध हैं, आदेश हुआ तो मैं अध्यक्ष बन गया। लेकिन इसके कारण मुझे अपने क्षेत्र में जाने आने समेत कई तरह की परेशानी होती थी। इससे पार्टी का काम भी प्रभावित हो रहा था। कई बार हमने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि आपका आदेश हुआ तो इतने दिनों तक पार्टी को चला लिए। अब इससे मुझे मुक्त कर दीजिए। इस पर नीतीश जी ने गुस्सा में कहा कि अगर अध्यक्ष पद छोड़ने की बात करिएगा तो दीवार में माथा फो़ड़ लेंगे। इस पर मैं चुप हो गया।
ललन सिंह ने कहा कि पिछले दिनों मैंने अकेले में एक दिन मुख्यमंत्री से विनती किया कि चुनाव आ गया है और क्षेत्र में जाने का समय नहीं मिलता है। इससे मेरा चुनाव प्रभावित हो जाएगा। ना पार्टी को समय दे पा रहा हूं और ना क्षेत्र में। दोनों के साथ अन्याय हो रहा है इसलिए मुझे अब इस पद से मुक्त कर दीजिए। इस पर उन्होंने कहा कि जब आप आग्रह करते हैं और चुनाव हैं तो हट जाइए लेकिन, हम किसी और को अध्यक्ष नहीं बनाएंगे बल्कि खुद यह जिम्मेदारी संभालेंगे।
इस्तीफे की टाइमिंग के सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि सबकुछ मेरी सहमति और नीतीश कुमार की इच्छा से हुआ। लोकसभा चुनाव के नजदीक आने पर फेरबदल के सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए ही तो यह काम किया गया क्योंकि मुझे भी तो चुनाव लड़ना है। अध्यक्ष पद पर रहते हुए मुझे कई राज्यों का दौरा करना पड़ता और अपने क्षेत्र मुंगेर में समय नहीं दे पाता।
उन्होंने कहा कि लोकसभा का चुनाव होना है तो अध्यक्ष पद के लिए पार्टी में एक बड़ा चेहरा चाहिए था। बड़े चेहरे के रूप में पार्टी के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार ने यह पद संभाल लिया। मेरे बाद नीतीश जी अध्यक्ष बने हैं यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मुझे इस बात का भी गर्व है कि मैं अध्यक्ष नहीं रहूंगा तो नीतीश कुमार मेरी जगह पर रहेंगे।
लालू यादव से करीबी पर नीतीश कुमार की नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजद के साथ गठबंधन नीतीश कुमार की सहमति से हुआ था क्योंकि बीजेपी के साथ रहते हुए उन्हें बहुत अपमान झेलना पड़ा था। जब उनके यहां हम लोग शाम में बैठते थे तो खुद कहते थे बीजेपी वाले बहुत अपमानित कर रहे हैं। पहले जबरन मुख्यमंत्री बना दिया और अब गठबधन धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। बीजेपी के नेता बयान देते रहते हैं कि हमारी कृपा से नीतीश मुख्यमंत्री हैं। नीतीश कुमार के हवाले से ललन सिंह ने कहा कि जब 2005 और 2010 में एनडीए की सरकार बिहार में बनी थी तो जेडीयू के पास ज्यादा सीटें थीं फिर भी बीजेपी को हमेशा सम्मान दिया गया।
ललन सिंह ने बताया कि एनडीए से निकलकर महागठबंधन बनाने का ऑफर राजद की ओर से आया तो नीतीश कुमार ने मुझे बात करने के लिए अधिकृत किया। राजद से मिलकर पार्टी के अंदर ऑपरेशन चलाने का आरोप लगाने वालों को लीगल नोटिस देने जा रहा हूं। उन्होंने दावा किया कि 1995 से पार्टी को बनाया है। तो जिस पार्टी को मैंने खुद बनाया उसे कैसे तोड़ सकते हैं। यह सब गोदी मीडिया का प्रचार है जिसे भाजपा के इशारे पर अंजाम दिया जा रहा है।
ललन सिंह ने उस दौर को भी याद किया जब वे नीतीश कुमार से अलग हो गए थे। कहा कि 2010 से 2013 तक मेरा नीतीश कुमार से मतभेद रहा फिर भी किसी अन्य जगह नहीं गया। फिर से 2013 में नीतीश कुमार के साथ आ गया क्योंकि मैं अपना घर छोड़कर किराय के घर में रहने का अभ्यस्त नहीं हूं। तेजस्वी को सीएम बनाने के लिए जेडीयू के 12 विधायकों के साथ गुप्त मीटिंग करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह अफवाह फैलाने वालों से कानूनी तौर पर निपटुंगा। उन पर मानहानि का मुकदमा भी करूंगा।
ललन सिंह ने बीजेपी पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि गठबंधन में रहते हुए भाजपा ने अरुणाचल प्रदेश में हमारे 7 विधायकों को तोड़कर अपनी पार्टी में मिला लिया। मणिपुर में 6 में पांच विधायकों को तोड़ लिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी अध्यक्ष रहे आरसीपी सिंह को मिलाकर हमारा नुकसान किया। विधायकों की कम संख्या पर नीतीश कुमार सीएम नहीं बनना चाहते थे तो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने दबाव बनाया। बाद में छोटे छोटे नेताओं से बयान दिलवाकर अपमानित करने लगे।
जब राष्ट्रीय नेतृत्व से शिकायत की कोई सुनवाई नहीं हुई। इतना हीं नही गठबंधन के बाजूद 2020 के चुनाव में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने लोजपा के लिए काम किया। इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को कोई रोल नहीं मिलने पर ललन सिंह बोले कि किसी दायित्व से मुक्त रहकर हम ज्यादा मजबूती से काम कर सकते हैं। उन्होंने जदयू के फिर से एनडीए से साथ जाने की संभावना से साफ साफ इनकार कर दिया। कहा कि यह भ्रम गोदी मीडिया द्वारा फैलाया जा रहा है।
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