बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए INDIA गठबंधन के दलों में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तैयार हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की आरजेडी ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला दिल्ली भेजा है। सूत्रों के मुताबिक इस फॉर्मूले में जेडीयू और आरजेडी को 17-17 सीटें देने की बात कही गई है। वहीं अन्य 6 में से 5 सीटों पर कांग्रेस तो एक पर सीपीआई माले को चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव है। गठबंधन में शामिल सीपीआई और सीपीएम को एक भी सीट नहीं दी गई है। लालू-नीतीश के इस फॉर्मूले से गठबंधन के अंदर माथापच्ची होने की आशंका जताई जा रही है।
महागठबंधन के सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन कमिटी (एनएसी) को बिहार में सीट बंटवारे का एक प्रस्ताव सौंपा गया है। इस कमिटी के अध्यक्ष कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने शुक्रवार को एक चैनल से बातचीत में कहा कि कमिटी के सामने सीट शेयरिंग को लेकर प्रस्ताव पर चर्चा हो चुकी है। कांग्रेस की गठबंधन कमिटी का गठन समान विचारधारा वाले दलों और INDIA गठबंधन के क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत करने के लिए किया गया है।
इस मुद्दे पर आरजेडी के एक शीर्ष नेता ने बताया कि उनकी पार्टी और जेडीयू को 17-17 सीटें मिलेंगी। जबकि कांग्रेस को पांच और एक सीट पर सीपीआई माले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि सीट आवंटन 17:17:5:1 अनुपात के तहत किया जाएगा। उम्मीदवारों और अन्य मुद्दों पर आगे की बातचीत पर काम किया जा रहा है। यह सीट शेयरिंग फॉर्मूला लगभग फाइनल है।
वहीं, कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि एक वैकल्पिक फॉर्मूले पर भी विचार किया जा रहा है। जिसके तहत जेडीयू को 17 सीटें जेडीयू की दी जाएंगी, जबकि बाकी की आरजेडी को मिलेंगी। आरजेडी अपने ही कोटे की 23 सीटों में से कांग्रेस और वाम दलों को सीटें बांटेगी।
महागठबंधन के सूत्रों ने कहा कि सीट बंटवारे के समझौते पर मुहर लगाने के लिए एनएसी जरिए कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच कुछ दौर की बातचीत होगी। इसकी घोषणा इंडिया गठबंधन के तहत सभी 28 पार्टियों के नेताओं की एक प्रस्तावित वर्चुअल बैठक के बाद जनवरी के अंत तक होने की संभावना है।
आरजेडी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया है कि राजद, जदयू, कांग्रेस जद (यू), कांग्रेस और वाम दलों द्वारा जिन सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा, उनकी पहचान कर ली गई है। जीत के कारक के आधार पर सहयोगी दलों के बीच कुछ सीटों पर हल्का फेरबदल हो सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वामदल के साथ उसका गठबंधन नहीं था लेकिन फिर भी पार्टी ने एक सीट सीपीआई माले के लिए छोड़ी थी। वहीं, महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के खाते में 9 सीटें आई थीं। अन्य सीटों पर गठबंधन के सहयोगी पार्टियां जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा, मुकेश सहनी की वीआईपी और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा ने चुनाव लड़ा था।
पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार में महागठबंधन की बुरी तरह हार हुई थी। लालू यादव की आरजेडी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई। गठबंधन में शामिल सिर्फ कांग्रेस ने एक सीट (किशनगंज) पर जीत दर्ज की थी। अन्य सभी 39 सीटों पर बीजेपी-जेडीयू के एनडीए ने जीत हासिल की थी। नीतीश उस वक्त एनडीए में थे और उनकी पार्टी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 पर विजयी हुई। वहीं, बीजेपी ने अपने खाते की सभी 17 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी।
जेडीयू का 17 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा वास्तविक है। क्योंकि 2019 में भी नीतीश की पार्टी ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था। जेडीयू का कहना है कि बिहार में इंडिया गंठबंधन के सहयोगियों में सीट बंटवारे को लेकर ज्यादा विवाद नहीं है। यह सौहार्दपूर्ण तरीके से संपन्न हो जाएगा।
जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता केसी त्यागी ने सीट बंटवारे के फार्मूले पर काम होने पर कोई टिप्पणी नहीं की। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने कहा कि सीट बंटवारे के प्रस्तावों पर एनएसी के समक्ष चर्चा की गई थी, जिसकी अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और शीर्ष कांग्रेस नेताओं ने की थी।
जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस बिहार में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो अखिलेश ने काह कि पार्टी ने 2019 में 9-10 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार भी वह अच्छी खासी संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ना चाहेगी। हालांकि, यह समझना होगा कि इस बार गठबंधन में एक नई पार्टी जेडीयू भी है, जो पिछली बार एनडीए के साथ थी। ऐसे में सभी पार्टियों को लचीला होना होगा और हम एक साझा सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर समझौता करेंगे।
सीपीआई माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि उनकी पार्टी को अभी भी सीट बंटवारे के किसी फॉर्मूले की जानकारी नहीं है, पार्टी पहले ही पांच सीटों की मांग कर चुकी है। यह पूछे जाने पर कि क्या सीपीआई माले एक सीट पर समझौता करेगी, तो कुणाल ने ना में जवाब दिया। उन्होंने कहा, “बिहार में हमारा मजबूत आधार है और हम एक सीट से संतुष्ट नहीं हो सकते।” वहीं, सीपीआई और सीपीएम को सीट शेयरिंग फॉर्मूले में एक भी सीट नहीं दी जाएगी तो उन पार्टियों की भी नाराजगी बढ़ने के आसार हैं।
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