बिहार को कुछ ही घंटों में एनडीए की सरकार मिलने वाली है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी और जेडीयू की सरकार का राज्य में गठन होगा। नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पटना पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि नड्डा अपने साथ लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग पासवान को भी दिल्ली से साथ लेकर आ रहे हैं। चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच की लड़ाई जगजाहिर है। बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं में सुलह का जिम्मा खुद नड्डा ने लिया है। इसलिए चिराग को शपथ ग्रहण में साथ लेकर वह पटना पहुंच रहे हैं।
दरअसल, नीतीश कुमार की बीजेपी के साथ गठबंधन करने से एनडीए के घटक दलों में खलबली मची हुई है। केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी की पार्टियां तो नीतीश की एनडीए में वापसी के समर्थन में ही रही हैं। मगर चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा पिछले कुछ दिनों से इससे खुश नहीं नजर आए। चिराग पासवान से जब भी इस बारे में पूछा गया तो वह कहते रहे कि बीजेपी नेतृत्व से बात करके ही वे कुछ बता पाएंगे।
नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी से पहले ही बीजेपी ने चिराग पासवान को मनाने की कोशिश शुरू कर दी थी। 26 जनवरी को ही बीजेपी ने चिराग को दिल्ली बुला लिया था। शनिवार को उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस दौरान चिराग ने बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण पर अपनी पार्टी की चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि वह अपनी सीटों पर किसी भी हालत में समझौता नहीं करेंगे। इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन्हें आश्वासन दिया है कि जो भी होगा बिहार के हित में होगा।
नीतीश अब एनडीए में वापस आ गए हैं। बीजेपी को डर है कि कहीं चिराग पासवान बगावत न कर बैठें। इसलिए नड्डा और शाह ने खुद उन्हें मनाने के लिए मोर्चा संभाला। जेपी नड्डा खुद चिराग को अपने साथ दिल्ली से पटना लेकर आ रहे हैं। वह दोबारा नीतीश और चिराग की दोस्ती कराएंगे। शपथ ग्रहण के बहाने बीजेपी की एनडीए को एकजुट दिखाने की कोशिश होगी।
चिराग बोले- नीतीश की नीतियों का विरोध करते रहेंगे
चिराग पासवान ने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार बन रही है। लोजपा रामविलास पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी है। जब राष्ट्रहित में फैसले लिए जाते हैं तो बड़े लक्ष्य को साधने के लिए हम साथ हैं। उन्होंने नीतीश की एनडीए में वापसी को अपनी सहमति दे दी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार से उनका नीतिगत विरोध जारी रहेगा।
बता दें कि नीतीश के एनडीए में आने से बीजेपी के सहयोगी दलों के बीच अपनी सीटें खोने की बेचैनी है। क्योंकि जेडीयू 2019 के चुनाव के आधार पर अपनी 17 सीटें नहीं छोड़ेगी। अगर बीजेपी भी 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो चिराग पासवान, पशुपति पारस, मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के बीच महज 6 सीटों में बंटवारा होगा। अब चिराग पासवान अकेले 6 सीटों की मांग कर रहे हैं, तो बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव का सीट बंटवारा मुश्किल हो सकता है।
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