क्या बिहार में जारी रहेगी ‘पकड़ौआ शादी’ की प्रथा; ब्याह रद्द करने के पटना हाईकोर्ट के फैसले पर SC की रोक
सुप्रीम कोर्ट ने पकड़ौआ विवाह के मामले में पटना हाईकोर्ट के अहम फैसले पर रोक लगा दी है। पटना हाई कोर्ट ने अग्नि के समक्ष सात फेरे पूरे नहीं होने के आधार पर शादी को कानूनी तौर पर अमान्य कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दुल्हन की अपील पर यह अंतरिम आदेश दिया है। बिहार में पकड़ौआ विवाह की पुरानी परंपरा है। कभी लड़के को किडनैप करके जबरन कराई जाने वाली ऐसी शादियां धड़ल्ले से होती थीं जो समय कम हो गईं लेकिन अभी भी खत्म नहीं हुई हैं। पिछले दिनों वैशाली में एक बीपीएससी शिक्षक को स्कूल से उठाकर शादी कर देने मामला सामने आया जो सुर्खियों में रहा।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इसके साथ ही मामले में संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में पारित अपने फैसले में कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के प्रावधानों से साफ पता चलता है कि सात फेरे पूर्ण होने पर ही विवाह पूर्ण और कानूनी तौर पर बाध्यकारी होता है। हाईकोर्ट ने सेना के एक जवान की ओर से दाखिल याचिका पर यह फैसला दिया था। युवक ने याचिका में आरोप लगाया था कि 30 जून, 2013 को लखीसराय में एक मंदिर में प्रार्थना के दौरान उसे दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया और बंदूक की नोक पर धमकाते हुए बिना किसी अन्य अनुष्ठान के शादी कर दी गई। युवक ने जबरन शादी कराने और शादी के सभी संस्कार पूरे नहीं किए जाने के आधार पर इसे रद्द करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने युवक के हक में फैसला देते हुए शादी को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
क्या है मामला
यह मामला नवादा जिले का है। रेवरा गांव के चंद्रमौलेश्वर सिंह के बेटे रविकांत और लखीसराय ज़िले के चौकी गांव के बिपिन सिंह की बेटी बंदना कुमारी की दस साल पहले शादी कराई गई थी। रविकांत ने आरोप लगाया कि उसका पकड़ौआ विवाह हुआ था। यह घटना 30 जून 2013 की है। उसे मंदिर से अगवा किया गया और शादी करा दी गयी जो उसके परिवार को भी मंजूर नहीं है।
दरअसल रविकांत भारतीय सेना में जवान है। वह लखीसराय के एक मंदिर में अपने चाचा सत्येंद्र सिंह के साथ दर्शन करने गया था तभी लड़की वालों ने उसका अपहरण कर लिया। करीब आठ लोग उसे घसीटते हुए ले गए और बंदूक की नोक पर जबरन शादी करवा दी। शादी की सारी रस्में पूरी ही होने वाली थीं कि रविकांत वहां से भाग निकला। वह शौच के बहाने निकला और वहीं खड़ी एक बाइक से फरार हो गया और जम्मू-कश्मीर ड्यूटी पर चला गया। उसके पिता चंद्रमौलेश्वर सिंह ने कभी इस शादी को स्वीकार नहीं किया। रविकांत जब छुट्टी पर दोबारा घर आया तो उसने नवादा की फैमिली कोर्ट में लड़की के परिवार वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। साथ ही उसने शादी को रद्द करने की मांग की। निचली अदालत से जब याचिका खारिज हो गई तो रविकांत ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब पटना हाईकोर्ट ने रविकांत को राहत देते हुए उसकी जबरन हुई शादी को रद्द करने का फैसला सुनाया है।
लड़की का दावा
इस मामले में लड़की वंदना कुमारी का कहना है कि 2017 में लड़के रविकांत की दूसरी शादी करा दी गई। देवघर में उसने केस कर रखा है। लड़की ने यह भी दावा किया है कि लड़का उसका रिश्तेदार है। रविकांत उसकी एक बहन का देवर है जो अक्सर उसके घर आता-जाता था। लड़की ने यह भी कहा है कि लड़के ने अपनी मर्जी से हंसते हुए शादी की थी। लेकिन उसके परिवार वालों को शादी मंजूर नहीं हुआ तो वह बदल गया। लड़की ने ससुराल में प्रताड़ित किये जाने का भी दावा किया। कहा कि कुछ दिन ससुराल में भी रही लेकिन तंग किया जाता था इसलिए वापस मायके आना पड़ा। उसके वकील ने सारे सबूत रहते हाईकोर्ट में पेश नहीं किया जिसकी वजह से फैसला कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। उसने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है।