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पद्म पुरस्कार 2024 का ऐलान, सीपी ठाकुर और बिंदेश्वर पाठक समेत बिहार की 7 विभूतियों को सम्मान

75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई। बिहार की सात विभूतियों को भी पद्म सम्मान से नवाजा गया है। सुलभ आंदोलन के जनक डॉ बिदेश्वर पाठक को पद्म विभूषण और चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ सीपी ठाकुर को पद्म भूषण पुरस्कार दिया गया है। पत्रकारिता में अहम योगदान के लिए सुरेंद्र किशोर को पद्मश्री सम्मान मिला है। इसके अलाा दरभंगा घराने के ध्रुपद गायक रामकुमार मल्लिक को, मिथिला लोक चित्रकला के लिए मधुबनी जिले के रहने वाले पति-पत्नी शिवन पासवान और शांति देवी पासवान को पद्मश्री दिया गया है।

इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्व. बिंदेश्वर पाठक को मरणोपरांत सामाजिक कार्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्म विभूषण मिलने की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त की है। सीएम नीतीश ने डॉ. चंदेश्वर प्रसाद ठाकुर (सीपी ठाकुर) को मेडिसिन के क्षेत्र में पद्मभूषण, शांति देवी पासवान एवं शिवम पासवान (पति पत्नी), टिकुली चित्रकार अशोक कुमार विश्वास, राम कुमार मल्लिक को कला के क्षेत्र में तथा सुरेंद्र किशोर को भाषा, शिक्षा तथा पत्रकारिता के क्षेत्र उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान मिलने की घोषणा पर अपनी बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।

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डॉक्टर से लेकर केंद्रीय मंत्री तक का सफर सीपी ठाकुर ने तय किया
भाजपा के वयोवृद्ध नेता और चिकित्सा जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले डॉ सीपी ठाकुर को पद्मभूषण सम्मान दिया गया है। डॉ ठाकुर को 1982 में इंदिरा गांधी सरकार में पद्मश्री पुरस्कार दिया गया था। बचपन में डॉ ठाकुर खुद कालाजार की बीमारी की चपेट में आ गए थे। इस बीमारी पर शोध करने की प्रेरणा उन्होंने खुद से ही ली थी। कालाजार के क्षेत्र में किये गये उसी योगदान के कारण उन्हें अब पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया है।

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डॉ ठाकुर तीन बार लोकसभा जबकि दो बार राज्यसभा के सांसद रहे। अटल बिहारी वाजपेई मंत्रिमंडल में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेवारी संभाली थी। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर डॉ ठाकुर के कार्यकाल में पार्टी ने सबसे अधिक 91 सीटों पर जीत हासिल की थी।वृद्धावस्था के कारण इन दोनों वे राजनीति में अधिक सक्रिय नहीं है लेकिन पार्टी के विभिन्न फॉर्म या विशेष बैठकों में वे जरूर भाग लेते हैं। अभी भी वे हर रोज कुछ मरीजों का उपचार भी करते हैं गरीब मरीजों की वे निशुल्क उपचार करते हैँ।

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पति- पत्नी ने मिलकर 10 हजार बच्चों को किया प्रशिक्षित

शिवन पासवान और उनकी पत्नी शांति देवी को पद्मश्री सम्मान की घोषणा गुरुवार को देर रात हुई। इस खबर की सूचना उनको बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने दी। इसके बाद उनके घर में उत्साह का माहौल है। देर रात तक कला प्रेमी उन्हें बधाई देने के लिए फोन करते रहे। शिवन पासवान मधुबनी के लहेरियागंज के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि छह सालों के प्रयास के बाद पद्मश्री सम्मान हासिल हुआ है। मिथिला पेंटिंग में उनकी रूचि बचपन से ही थी। यह उन्हें परंपरा में मिली है। पहले उनकी मां इस कला से जुड़ी थीं। शिवन पासवान और उनकी पत्नी करीब 48 सालों से मिथिला पेंटिंग से जुड़ी हैं।

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सबसे पहले वर्ष 1979-80 में पति व पत्नी को राज्य स्तरीय सम्मान मिला। इसके बाद वर्ष 1984 में राष्ट्रीय पुरस्कार से दोनों को सम्मानित किया गया। वर्ष 1986 में इन्हें उद्योग विभाग द्वारा बिहार चक्र सम्मान प्रदान किया गया। पति- पत्नी लगातार मेहनत करते रहे और कई स्तरों पर सम्मानित भी हुए। उन्होंने कहा कि पद्मश्री पुरस्कार मिलने का श्रेय बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह और अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा को जाता है। इन्होंने हमारी पेंटिंग को मंगाया और कई आयोजनों में उसकी प्रर्दशनी लगावाई।

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डेनमार्क व मलेशिया में सराहा गया

शांति देवी पहली बार वर्ष 1982 में अपने चित्रों को लेकर डेनमार्क गई थीं। वहां उनकी पेंटिंग को खूब सराहा गया था। जापान भी पांच बार प्रदर्शनी लगा चुकी हैं। इसके अतिरिक्त मलेशिया, दुबई और जर्मनी में भी इनके चित्रों की प्रदर्शनी लगी है। पति व पत्नी दोनों अब पेंटिंग से होने वाले आय से अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ बच्चों को भी मिथिला पेंटिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं। अब तक मिथिला पेंटिंग में 10 हजार से अधिक बच्चों को प्रशिक्षित कर चुके हैं।

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