बिहार के स्कूलों में इसी सत्र से भोजपुरी, मगही, मैथिली समेत सात भाषाओं में पढ़ाई शुरू होने वाली है। पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों के लिए इन भाषाओं में स्टोरी टेलिंग मटेरियल तैयार किया जा रहा है। सूबे की स्थानीय भाषाओं में भाषा और सामाजिक विज्ञान का स्टोरी टेलिंग मटेरियल बनाया जा रहा है। अलग-अलग भाषाओं में टीचर्स हैंडबुक भी तैयार हो रही है। राज्य शिक्षा शोध प्रशिक्षण परिषद ने 2024-25 सत्र से इसे शुरू करने का निर्देश दिया है। शिक्षकों को इसके लिए अलग से ट्रेनिंग भी दी जाएगी।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत, राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद् द्वारा भाषा तथा सामाजिक विज्ञान शिक्षण की गुणवत्ता के विकास के लिए बिहार की स्थानीय भाषाओं में स्टोरी टेलिंग मटेरियल तैयार किया जा रहा है। इसके लिए कार्यशाला का आयोजन राज्य स्तर पर किया गया है। इसमें अलग-अलग टीचर ट्रेनिंग कॉलेज के व्याख्याता और शिक्षकों का साधनसेवी के रूप में चयन किया गया है।
शिक्षक कैसे पढ़ाएंगे, कार्यशाला में मिलेगी ट्रेनिंग :
डीईओ अजय कुमार सिंह ने कहा कि सूबे के जिस इलाके में जिस तरह की भाषा बोली जाती है और स्कूल में किस स्थानीय भाषा के बच्चे आ रहे हैं, उन्हें ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया जा रहा है। इन भाषाओं में संबंधित शिक्षक किस तरह बच्चों को पढ़ाएंगे, इसे लेकर कार्यशाला में ट्रेनिंग मिलेगी। एक्सपर्ट गोपाल फलक ने बताया कि हर पाठ एक स्टोरी से जोड़ कर तैयार किया जा रहा, जिससे बच्चे आसानी से समझ सकेंगे। स्थानीय भाषा और शब्दों के चयन का काम पूरा हो चुका है। अलग-अलग जिलों से अलग-अलग भाषाओं के लिए शिक्षकों की टीम बनाई गई है।
इन भाषाओं में तैयार हो रहा स्टोरी टेलिंग मटेरियल :
मैथिली, बांग्ला, उर्दू, हिंदी, भोजपुरी, मगही और अंग्रेजी
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