बिहार के बैंकों के खातों में करोड़ों रुपये वर्षों से पड़े हुए हैं. इन खातों में पिछले कई वर्षों से कोई लेन-देन नहीं हुआ है. बैंक अब निष्क्रिय खाताधारी या उनके नॉमिनी को खोजकर उन्हें इस राशि के बारे में जानकारी देगा. किसी का अता-पता नहीं मिलने पर अगले वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल, 2024 के बाद से इस राशि को जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता कोष में ट्रांसफर कर दिया जायेगा. बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस संबंध में सभी बैंकों को दिशा-निर्देश जारी किया है.
दरअसल,बैंकों में धोखाधड़ी के खतरों को कम करने के लिए निष्क्रिय खातों में पड़ी राशि को खाताधारक या उनके नॉमिनी के पास पहुंचाने की पहल की जा रही है. बिहार के बैंकों के निष्क्रिय खातों में करीब ढ़ाई हजार करोड़ की लावारिस राशि पड़ी हुई है, जिसमें करीब 275 करोड़ राज्य सरकार के विभिन्न खातों में पड़ी हुई है.रिजर्व बैंक द्वारा राज्य सरकार को भी इस संबंध में निर्देश जारी किया है.उसके बाद वित्त विभाग ने सभी विभागों को अपने-अपने बैंक खाते की जांच कर राशि का पता लगाने के लिए कहा है.
बिहार के जैसे विकासशील राज्य के लिए यह एक बड़ी रकम ही नहीं बल्कि बेहद जरुरी रकम है. 25 हजार करोड़ से बिहार जैसे राज्यों में कई चालू परियोजनाएं पूरी हो सकती है. यह रकम बिहार के चार विभागों को छोड़कर किसी अन्य विभाग के बजट से अधिकि है. इतने पैसे में राज्य में एम्स जैसी दो संस्थाएं स्थापित हो सकती है. गंगा पर दो और पुल बन सकता है. एक पांच वर्ष तक के बच्चों के लिए स्कूल में बेहतरीन आधारभूत संरचनाएं दी जा सकती हैं.
जिन बैंक खातों में एक साल या ज्यादा समय से खाताधारी द्वारा कोई जमा- निकासी (ट्रांजैक्शन) नहीं की जाती है, तो बैंक उस खाते को डारमेंट यानी निष्क्रिय घोषित कर देता है.ऐसे बैंक खातों में 10 साल कोई लेन-देन नहीं होने पर संचालन बंद कर दिया जाता है.साइबर फ्रॉड की घटना बढ़ने के बाद रिजर्व बैंक ने निष्क्रिय खातों पर नजर रखने का निर्देश जारी किया है. निष्क्रिय खातों से निकासी के लिए खाताधारी को पहले केवाइसी करवाना होगा. उसके बाद उनका अकाउंट एक्टिव होगा. यदि किसी के नॉमिनी को राशि निकालनी है, तो उन्हें पूरा दस्तावेज देना होगा.
आपका बचत खाता निष्क्रिय है और उसमें कोई भी रकम जमा है तो इस पर बैंक नियमित ब्याज देता रहेगा. यह ब्याज उसी खाते में जमा होता रहेगा. यह ब्याज तभी मिलेगा, जब खाता सक्रिय होगा, लेकिन अगर कोई एफडी है और वह परिपक्व हो गया यानी जितने समय के लिए आपने एफडी कराया था वह समय पूरा हो गया तो उसके बाद उस पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा. इसे बिना दावे वाली रकम के रूप में घोषित कर दिया जाएगा.
वर्तमान में, अगर किसी जमाकर्ता ने 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक बैंक जमा का दावा नहीं किया है, तो उसे इसकी जानकारी पाने के लिए संबंधित बैंक की वेबसाइट पर जाना पड़ता है. लेकिन, अब दावेदार एक केंद्रीकृत प्लेटफॉर्म पर ऐसे सभी खातों की खोज कर सकेंगे. यदि आपका खाता समय के साथ संचालन न करने के कारण निष्क्रिय हो जाता है, तो आपको क्या करना चाहिए. उस स्थिति में, आपको इसका उपयोग फिर से शुरू करने के लिए इसे फिर से सक्रिय करना होगा और किसी भी शेष जमा राशि का दावा करना होगा.
आरबीआई ने बैंकों ने से कहा है कि वे उन बिना दावे वाली रकम के जमाकर्ताओं को खोजें जिनका कोई पता नहीं है. इसके लिए अभियान चलाया जाये. इसमें शीर्ष 100 जिलों के 100 जमाकर्ताओं को खोजा जाएगा और उनको उनकी रकम दी जाएगी. बहुतेरे लोग अपना पता बदल देते हैं. मोबाइल नंबर बदल देते हैं, पर वे इसकी सूचना बैंक को नहीं देते हैं.
बैक को सही जानकारी नहीं रहने से दोनों पक्षों को नुकसान होता है. समझने के लिए नुकसान यह है कि बैंक पुराने रिकॉर्ड के आधार पर ही आपको चेकबुक, डेबिट कार्ड या कोई भी पत्र व्यवहार करता है, तो इसका आपको पता नहीं चलता है. किसी भी स्थिति में ऐसे बदलावों की जानकारी बैंक को देना अनिवार्य और फायदेमंद है. हम आपको बता रहे हैं कि कैसे आपका निष्क्रिय खाता चालू हो सकता है और इसके लिए क्या किया जा सकता है.
निष्क्रिय खातों को फिर से चालू किया जा सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर जो नियम है उसके मुताबिक, सबसे पहले आपको उस बैंक की शाखा में जाना होगा, जहां आपका खाता है. आपको एक पत्र बैंक को देना होगा, जिसमें वही हस्ताक्षर हो, जो खाते में है. इसमें यह लिखना होगा कि आपके खाते को फिर से चालू किया जाए. एक पते का सबूत और पहचान पत्र देना होगा जिस पर आपका हस्ताक्षर होगा. खाता सक्रिय होने के तुरंत बाद आपको कोई भी लेनदेन करना होगा. यानी या तो पैसा निकालना होगा या जमा करना होगा. यह रकम 100 रुपये भी हो सकती है.
वित्तीय सलाहकार मुकुल मयंक ने बताया कि खाता अगर निष्क्रिय हो गया है तो उसे आप सारे कागजात देकर चालू करा सकते हैं. इसके लिए कोई जुर्माना या किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना होगा. हां, अगर उसमें न्यूनतम बैलेंस से कम रकम है तो इसका जो भी शुल्क होगा, वह आपको देना होगा.
सबसे पहले ये जानें कि आपका बैंक खाता निष्क्रिय खाते के रूप में दर्ज किया गया है या नहीं. इसके लिए बैंक की वेबसाइट पर जाकर जानकारी लिया जा सकता है. आरबीआई के नियम के अनुसार, हर बैंक को अपने वेबसाइट पर अनक्लेम्ड रकम (Unclaimed Money) का ब्योरा देना होता है, जो कि इस तरह के खातों से आते हैं.
इन खातों से पैसे निकालने के लिए कुछ आसान से स्टेप्स को फॉलो करना होता है, जिससे आप क्लेम कर पाएंगे.
अगर आपको अनक्लेम्ड रकम श्रेणी में अपना खाता दिख जाता है तो शाखा में जाकर क्लेम फॉर्म भरें. साथ ही KYC कराना भी जरूरी है.
अगर अनक्लेम्ड रकम वाला खाता आपके नाम पर नहीं है और आप बस इसके नॉमिनी हैं तो आपको क्लेम फॉर्म के साथ ही अपना पहचान प्रमाण और खाता धारक की मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करना होगा.
इन सभी प्रक्रिया के बाद बैंक सारी चीजों का सत्यापन करती है और अगर सबकुछ सही पाया जाता है तो अकाउंट का पूरा पैसा आपको मिल जाएगा.
ऐसा कोई खाता है जो दो लोगों के नाम पर है तो उसमें भी उपरोक्त प्रक्रिया ही अपनानी होगी. इसमें दोनों लोगों का हस्ताक्षर होना जरूरी है. यहां भी केवाईसी जमा करनी होगी. इसमें पैन, आधार या कोई और पते का सबूत हो सकता है. हालांकि, पैन कार्ड कभी भी पते का सबूत नहीं होता है.
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