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बिहार में अभी और होगा खेला? आरजेडी और कांग्रेस से कुछ और विधायक बदल सकते हैं पाला…

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लोकसभा चुनाव से पहले बिहार महागठबंधन में भगदड़ मचना शुरू हो गई है। राज्य में सत्ता बदलने के साथ अंदेशा सत्तापक्ष में टूट की थी लेकिन पाला बदल विपक्षी गठबंधन के विधायक कर रहे हैं। विपक्षी गठबंधन के दोनों प्रमुख दल आरजेडी और कांग्रेस के कुल तीन विधायक मंगलवार को एनडीए के पाले में चले गए। सदन की कार्यवाही के बीच आरजेडी विधायक संगीता कुमारी और कांग्रेस विधायक मुरारी गौतम एवं सिद्धार्थ सौरभ ने बीजेपी के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर की। वे विधानसभा में सत्तापक्ष के विधायकों की कतार में जा बैठे। सियासी चर्चाओं की मानें तो अभी यह सिलसिला थमने वाला नहीं है। बिहार में अभी और खेला होगा। विपक्ष को आने वाले दिनों में और झटके लग सकते हैं। महागठबंधन के करीब आधा दर्जन और विधायकों के पाला बदलने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

कांग्रेस के जिन दो विधायकों ने पाला बदला है वे दूसरी बार विधायक हैं। सिद्धार्थ सौरभ बिक्रम से लगातार दूसरी बार जीतकर 2020 में विधानसभा पहुंचे थे। बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले बिक्रम विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर परचम लहराने वाले सिद्धार्थ प्रख्यात चिकित्सक दिवंगत उत्पल कांत के बेटे हैं। वहीं चेनारी से मुरारी गौतम को 2020 में दूसरी बार कांग्रेस के टिकट पर जीत मिली थी। साल 2009 के उपचुनाव में भी वह यहीं से जीते थे। हालांकि 2010 में चुनाव हार गए थे। इनके सासाराम लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा है।

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वहीं, मोहनिया विधानसभा सीट से संगीता कुमारी पहली बार विधानसभा सदस्य हैं। हाल ही में भारत जोड़ो न्याय यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की सभा में उन्होंने बीजेपी के खिलाफ जोरदार आवाज में हमला बोला था। आरजेडी ने अभी कुछ दिन पहले उनको पार्टी का प्रदेश प्रवक्ता बनाकर सम्मानित भी किया था, लेकिन संगीता कुमारी के अचानक पाला बदलने से पार्टी के लोग हैरान हैं।

महागठबंधन में कम दिख रही आक्रामकता

नीतीश कुमार के महागठबंधन से हटने और एनडीए में जाने के बाद विपक्ष में न वो आक्रामकता दिख रही और न ही एकजुटता दिखाने को लेकर ही कोई कार्यक्रम हो रहा है। पाला बदलने वाले विधायकों के निर्णय को उनके अपने-अपने भविष्य को सुरक्षित रखने की दृष्टि से लिए गए फैसले के रूप में भी देखा जा रहा है, लेकिन इसे गठबंधन के प्रति भरोसे में आई कमी भी जानकार बता रहे हैं। उधर, एनडीए के विधायकों का मनोबल ऊंचा करने को लेकर कवायदें होती दिख रही हैं।

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सबसे अधिक खतरा कांग्रेस को

पाला बदलने के मामले में सबसे अधिक खतरा कांग्रेस को है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के कम से कम आधा दर्जन विधायक पार्टी का साथ छोड़ सकते हैं। इसकी रूपरेखा तय हो चुकी है और संभावना है कि चालू सत्र के दौरान ही कांग्रेसी विधायक सत्ताधारी दल का दामन थामेंगे। जिन लोगों के नाम हवा में तैर रहे हैं, उनमें पार्टी के दिग्गज एवं वरिष्ठ नेताओं के नाम भी शामिल हैं। सार्वजनिक मंचों पर जो पार्टी की नीतियों का बखान करते फिरते हैं, उनके भी पाला बदलने की चर्चा है।

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पहले भी तीन विधायकों ने बदला था पाला

पिछले दिनों विधानसभा में विश्वास मत के दौरान आरजेडी के तीन विधायकों ने पाला बदला था। इसे मिलाकर अबतक आरजेडी के चार और कांग्रेस के दो विधायकों ने बागी तेवर दिखाते हुए पाला बदला है। इनमें आरजेडी से चेतन आनंद, प्राद यादव, नीलम देवी और संगीता कुमारी शामिल हैं। कांग्रेस के दो विधायक मुरारी गौतम और सिद्धार्थ सौरभ ने अपने दल से हटकर सत्ताधारी दल को अपनाया है। चर्चाओं के अनुसार आरजेडी के कुछ और विधायक सत्ताधारी दल की ओर रुख कर सकते हैं। एक-दो दिनों में इसकी बानगी देखने को मिल सकती है। संभावना है कि चालू सत्र के दौरान सदन में ही आरजेडी के विधायक बीजेपी का दामन थामेंगे।

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