बिजली के मामले बिहार लगातार नया कीर्तमान स्थापित कर रहा है.राज्य में बिजली निकासी (संचरण) क्षमता खपत से लगभग दोगुनी हो गयी है. बिहार में अभी अधिकतम 7576 मेगावाट बिजली आपूर्ति हुई है. पिछले साल तक कंपनी ने राज्य में बिजली निकासी की क्षमता 14 हजार 24 मेगावाट तक विकसित कर ली है. यानी राज्य में इतनी बिजली आपूर्ति की जा सकती है. वर्ष 2012 में राज्य में बिजली निकासी की क्षमता मात्र दो हजार मेगावाट की थी.पिछले 11 वर्षों में कंपनी ने संचरण क्षमता में सात गुना की वृद्धि की है.
11 वर्ष पहले राज्य में जहां 38 लाख बिजली उपभोक्ता थे, जो अब बढ़कर एक करोड़ 90 लाख हो गयी है. हर घर बिजली योजना के कारण तेजी से बढ़ने वाले घरेलू उपभोक्ता के मामले में बिहार देश में दूसरे पायदान पर आ गया. उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने के कारण हर साल राज्य में बिजली की मांग में वृद्धि हो रही है.एक आकलन के अनुसार हर साल लगभग 600 मेगावाट बिजली खपत बढ़ रही है.
श्रेणी 2012 2023
ग्रिड 83 164
संचरण क्षमता-मेगावाट 2000 14024
अधिकतम आपूर्ति-मेगावाट 1802 7576
पावर सब-स्टेशन 545 1236
उपभोक्ता- लाख 38 190
पिछले साल अक्टूबर में आये रिपोर्ट के तहत घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के मामले में बिहार देश में तीसरे पायदान पर था. पहले पायदान पर असम और दूसरे पायदान पर झारखंड था. केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में लगभग 90 फीसदी घरेलू उपभोक्ता हैं. बिहार में उत्तर बिहार (नॉर्थबिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड) में 92.1 फीसदी तो दक्षिण बिहार (साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड) के पास 86.8 फीसदी घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं.
घरेलू उपभोक्ताओं को छोड़ दें तो उत्तर बिहार में शहरी उपभोक्ता मात्र 16 फीसदी तो दक्षिण बिहार में 29 फीसदी हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों में उत्तर बिहार में 84 फीसदी तो दक्षिण बिहार में 71 फीसदी उपभोक्ता हैं. गैर घरेलू बिजली उपभोक्ताओं में उत्तर बिहार में छह फीसदी तो दक्षिण बिहार में 7.7 फीसदी हैं. औद्योगिक कनेक्शन में उत्तर बिहार में 0.6 फीसदी तो दक्षिण बिहार में एक फीसदी उपभोक्ता रहा हैं.
कृषि कनेक्शन में उत्तर बिहार की तुलना में दक्षिण बिहार आगे है. उत्तर बिहार में मात्र 1.1 फीसदी तो दक्षिण बिहार में 4.4 फीसदी कृषि कनेक्शन है, जबकि अन्य श्रेणी में उत्तर बिहार में 0.2 फीसदी तो दक्षिण बिहार में 0.4 फीसदी कनेक्शन हैं. रिपोर्ट के अनुसार बिहार में हर साल औसतन छह लाख बिजली उपभोक्ताओं की संख्या मेंवृद्धि होने का अनुमान है. बिहार में मार्च 2025 तक यह संख्या लगभग दो करोड़ पहुंचने की उम्मीद है.
घरेलू बिजली उपभोक्ताओं की अधिक संख्या के कारण बिहार में कोरोना काल में बिजली की खपत बढ़ गई थी. देश के अन्य राज्यों में औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं की संख्या अच्छी खासी है, जबकि बिहार में 90 फीसदी उपभोक्ता घरेलू श्रेणी के हैं. इस कारण कोरोना में जब लॉकडाउन हुआ था कल-कारखाने बंद हो गए. देश के अन्य राज्यों में जहां बिजली की खपत कम हो गई थी वही बिहार में यह खपत बढ़ गई. लोगों ने घरों में बैठकर इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों का खूब इस्तेमाल किया. इस कारण बिहार देश के चंद राज्यों में शुमार था जहां कोरोना काल में बिजली खपत बढ़ गई थी.
बिजली कंपनी ने चार साल में अपना नुकसान 11 फीसदी कम कर लिया है. वित्तीय वर्ष 2020 में कंपनी का तकनीकी व व्यावसायिक (एटीएंडसी) नुकसान 35 फीसदी था। वर्ष 21 में यह घटकर 32 फीसदी हो गया. वहीं, वर्ष 22 में 29 फीसदी तो वर्ष 23 में घटकर 24 फीसदी पर नुकसान आ चुका है. इन्हीं कार्यों के कारण 2022 में जहां एसबीपीडीसीएल को डी श्रेणी में रखा गया था तो 2023 में यह बी प्लस श्रेणी में आ गया.जबकि इसी अवधि में एनबीपीडीसीएल सी प्लस से बी श्रेणी में आ गया. नुकसान कम करने का व्यावसायिक लाभ कंपनी को हुआ. पहली बार बिजली कंपनी 215 करोड़ के लाभ में आई है.
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