बीजेपी के सहयोग से नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की नई सरकार ने काम शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री ने आठ मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया है। इस बीच पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने दो मंत्री पद पर दावे के बाद विभागों के बंटवारे पर असंतोष जताकर नया झमेला खड़ा कर दिया है। नीतीश सरकार के फ्लोर टेस्ट से पहले जीतन राम मांझी के इस एक्शन को प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में देखा जा रहा है।
नीतीश कुमार की नई सरकार में जीतनराम मांझी के पुत्र और हिंदुस्तानी एवं मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन को अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग का मंत्री बनाया गया है। रविवार को पत्रकारों के सवाल के जवाब में संतोष सुमन ने नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार में आस्था जताते हुए कहा था कि जो भी जिम्मेदारी दी गयी है उससे संतुष्ट हैं और राज्य की बेहतरी के लिए पूरी ताकत से काम करेंगे। इधर सोमवार को वजीरगंज में एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने संतोष सुमन को दिए गए विभाग पर नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा कि पहले मुझे इसी विभाग का मंत्री बनाया गया और अब मेरे बेटे को भी यही विभाग दिया गया है हमें खानदानी तौर पर एससी एसटी कल्याण विभाग का मंत्री बनाया दिया गया है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को सरकार में कोई बड़ा विभाग क्यों नहीं दिया जाता। उन्होंने संतोष सुमन के लिए पथ निर्माण या भवन निर्माण मंत्रालय की मांग की है।
इससे पहले उन्होंने दावा किया था कि उनकी पार्टी को दो मंत्री पद दिया जाना चाहिए। मांझी ने अपनी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री अनिल कुमार सिंह का नाम भी आगे कर दिया था। उन्होंने कहा था कि महागठबंधन की ओर से सीएम पद का ऑफर दिया गया था। लेकिन मोदी प्रेम और गठबंधन धर्म के कारण ऑफर को ठुकरा दिया। हमारी पार्टी के साथ अन्याय नहीं किया जाए।
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