लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग पासवान ने बिहार की 11 लोकसभा सीटों पर पार्टी के प्रभारी नियुक्त किए हैं। इनमें से पांच जेडीयू और बीजेपी की सीटिंग सीटें हैं। इससे बिहार का सियासी पारा गर्मा गया है। चर्चा हो रही है क्या चिराग पासवान फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भिड़ने वाले हैं। इसके अलावा उन्होंने हाजीपुर लोकसभा में भी प्रभारी नियुक्त किया है, जिससे अभी उनके चाचा पशुपति पारस सांसद हैं। हाजीपुर से 2024 में चुनाव लड़ने के लिए चाचा और भतीजा में घमासान छिड़ा हुआ है।
लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी लोजपा (रामविलास) ने 11 सीटों पर पार्टी के प्रभारी नियुक्त किए। लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने सोमवार को प्रभारियों की सूची जारी की। इसके तहत अरविंद कुमार सिंह को हाजीपुर का प्रभारी बनाया गया है। अमरनाथ सिंह उर्फ अमर कुशवाहा जमुई के प्रभारी होंगे। वहीं, वैशाली में राकेश कुमार सिंह, नवादा में अभय सिंह, गोपालगंज में परशुराम पासवान, सीतामढ़ी में डॉ. शाहनवाज अहमद कैफी, बेगूसराय में इंदु कश्यप और जहानाबाद में रामाश्रय शर्मा उर्फ पुनदेव शर्मा को लोकसभा प्रभारी बनाया गया है।
चिराग ने ऐसे समय में लोकसभा प्रभारी नियुक्त किए हैं जब एनडीए में अभी तक सीट बंटवारे की कवायद पूरी नहीं हुई है। इसमें अब नीतीश की जेडीयू भी शामिल हो गई है। हालांकि, लोजपा रामविलास ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि वह नीतीश कुमार की जेडीयू के एनडीए में आने के बाद सीटों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी।
लोजपा रामविलास ने जिन 11 लोकसभा सीटों पर पार्टी प्रभारी नियुक्त किए हैं, उनमें से 6 सीटों पर 2019 में एलजेपी ने जीत दर्ज की थी। वहीं, बेगूसराय सीट बीजेपी के खाते में गई थी। बाकी की चार सीटें (सीतामढ़ी, वाल्मीकिनगर, गोपालगंज और जहानाबाद) अभी जेडीयू के पास हैं।
चिराग पासवान ने 11 लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी लोजपा-रामविलास के प्रभारी बनाकर सीट बंटवारे में एनडीए के दोनों सीनियर दल बीजेपी और जेडीयू पर दबाव बढ़ा दिया है। लेकिन पार्टी प्रभारी बनाने का सीधा मतलब ये नहीं है कि उन सीटों पर चिराग ने दावा ठोक दिया है क्योंकि गठबंधन की दूसरी पार्टियां भी चुनाव लड़ें तो उसे सहयोगी दलों के नेताओं की मदद चाहिए जो काम पार्टी के प्रभारी ही करेंगे।
बता दें कि लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी पार्टी में दो धड़े हो गए थे। पशुपति पारस के गुट ने रालोजपा, तो चिराग पासवान ने लोजपा रामविलास नाम से नया दल बनाया। हाजीपुर से अभी पारस सांसद हैं और केंद्र में मंत्री हैं। अब चिराग पासवान खुद यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। एक चैनल से बात करते हुए, चिराग ने मंगलवार को दोहराया कि हाजीपुर से आगामी लोकसभा चुनाव में लोजपा रामविलास का प्रत्याशी ही उतरेगा। उन्होंने दावा किया कि एनडीए में सीट बंटवारे पर बातचीत अंतिम चरण में है।
2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि एलजेपी को छह सीटें मिली थीं। उस समय एलजेपी ने सभी छह सीटों पर जीत दर्ज की थी। बिहार में एनडीए को 40 में से 39 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर लोजपा के जेडीयू के साथ गंभीर मतभेद नजर आए और उसने 137 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। चिराग ने अधिकतर सीटों पर जेडीयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारे थे। हालांकि, उस चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी सिर्फ एक सीट जीत सकी और 9 जगहों पर दूसरे स्थान पर रही। 2020 में जेडीयू को सीटों का नुकसान झेलना पड़ा। इस कारण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच टकराव हो गया।
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद चिराग पासवान एनडीए से अलग हो गए। वहीं, 2022 में नीतीश कुमार की जेडीयू भी एनडीए से अलग होकर महागठबंधन में चली गई। अब दोनों ही पार्टियां बीजेपी के साथ गठबंधन में लौट आई हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में फिर दोनों साथ चुनाव लड़ेंगी। मगर लोजपा का जेडीयू के साथ टकराव अभी खत्म नहीं हुआ है। वह बार-बार नीतीश कुमार के शासन मॉडल पर सवाल उठा रही है। नीतीश की एनडीए में वापसी के बाद चिराग ने कहा कि वह उनका गठबंधन में स्वागत करते हैं, लेकिन उनका नीतिगत विरोध जारी रहेगा। अब उन्होंने जेडीयू के चार सीटिंग लोकसभा सीटों के लिए चुनाव प्रभारी की घोषणा कर एक बार फिर सख्त संदेश दिया है।
राजनीतिक विश्लेषक नवल किशोर चौधरी ने कहा कि जेडीयू की चार सीटों पर लोकसभा प्रभारी नियुक्त कर चिराग पासवान ने बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती पेश कर दी है। बीजेपी हाल ही में एनडीए में आई नीतीश कुमार की पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में कितनी सीटें देती हैं, यह तो वक्त ही बताएगा। मगर एक बात स्पष्ट नजर आ रही है कि 2019 के चुनाव की तरह सीट बंटवारा नहीं हो सकता है। क्योंकि पिछले चुनाव में बिहार एनडीए के अंदर जेडीयू, बीजेपी और लोजपा ये तीन पार्टियां ही थीं। इस बार बीजेपी और जेडीयू के अलावा लोजपा के दोनों गुट और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलजेडी एवं जीतनराम मांझी की हम भी शामिल हैं। सभी दल सीटों को लेकर अपने-अपने दावे बीजेपी के सामने पेश कर चुके हैं।
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