बिहार विधानसभा के बजट सत्र का आगाज 12 फरवरी से हो चुका है। पहले दिन बिहार की नई एनडीए सरकार ने फ्लोर टेस्ट पास किया। और आज बजट पेश किया जाएगा। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी आज अपना पहला बजट पेश करेंगे। क्योंकि वित्त मंत्रालय उन्ही के पास है। और ये उनका पहला बजट होगा। ऐसे में देखना होगा आज सम्राट चौधरी के पिटारे से क्या-क्या निकलेगा। इससे पहले कल आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट सदन में पेश की गई थी।
उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 की रिपोर्ट जारी करने के बाद कहा कि हमें अपने संसाधन को बढाना होगा। इसके लिए सभी विभागों को संसाधन बढाने की जरूरत है। बिहार का बजट आकार लगातार बढ रहा है। केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा संयुक्त प्रयास से राज्य का तेजी से आर्थिक विकास होगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2023-24 में बिहार के विकास दर और प्रति व्यक्ति आय में बढोतरी हुई है।
पटना की तुलना में बेगूसरा, मुंगेर, शिवहर, अररिया व सीतामढी में प्रति व्यक्ति आय बेहद कम है। राज्य के विकासात्मक खर्च 1,07,737 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,67,375 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वहीं, बकाया ऋण सकल राज्य घरेलू उत्पाद का प्रतिशत 32.76 से बढकर 37.15 प्रतिशत होने का अनुमान है। राज्य में प्रति व्यक्ति ऋण का भार 14,438 से बढकर 24,357 रुपये होने का अनुमान है।
वहीं, राज्य में साख-जमा अनुपात इन वर्षो के दौरान 44.1 प्रतिशत से बढकर 55.6 प्रतिशत हो गया। वहीं, उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने राज्य के आर्थिक विकास की गति तेज करने को लेकर विभागीय मंत्री को शुभकामनाएं दी। जबकि, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि राजकोषीय घाटा को 3.5 प्रतिशत से कम रखने की कोशिश जारी है। केंद्र सरकार से शून्य ब्याज दर पर लंबी अवधि का ऋण मिलने से भी राज्य की आर्थिक स्थिति में बदलाव आएगा।
राज्य में पिछले पांच वर्षों में 53 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है। सोमवार को विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 1934 निवेश प्रस्तावों में से 1689 को प्रथम चरण की अनापत्ति प्राप्त हो गई है। इन औद्योगिक इकाइयों में करीब पंद्रह हजार श्रमिकों को रोजगार मिला है। बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत 2695 इकाइयों को प्रथम चरण की अनापत्ति प्राप्त हो चुकी है। इसमें 67 हजार करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव है। खाद्य प्रसंस्करण के 1157, सामान्य विनिर्माण के 603, प्लास्टिक और रबर के 277, स्वास्थ्य देखरेख के 106 प्रस्तावों को प्रथम चरण की अनापत्ति मिली है।
राज्य में लघु और अतिलघु उद्यम इकाइयों में वृद्धि हुई है। वर्ष 2021-22 में 45 अतिलघु इकाइयां लगी थीं, वर्ष 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 196 हो गई। निवेश की राशि 68 करोड़ रुपये बढ़कर 250 करोड़ रुपये हो गई। इसी तरह लघु उद्यम इकाइयों की संख्या 36 से बढ़कर 111 हो गई। निवेश की राशि बढ़कर तीन गुनी हो गई। 236 करोड़ से बढ़कर निवेश राशि इस दौरान 684 करोड़ रुपये हो गई।
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार द्वारा 1549 लाख रुपये दिए गए हैं। यह वर्ष 2021-22 की तुलना में नौ गुना अधिक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी नीति और नई पर्यटन नीति के बाद इन क्षेत्रों में भी निवेश के खूब प्रस्ताव आ रहे हैं। बिहार में औद्योगीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भी तेजी आई है। 7347 एकड़ भूमि का अधिग्रहण औद्योगिक इकाइयों के लिए हुआ है। इस दौरान उद्योग के लिए 711 शेड बनाए गए हैं।
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