“6 साल से हमें परेशान किया जा रहा है” लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के इस पोस्ट के क्या है मायने ?
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बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और राजद सुप्रीमो के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अक्सर सोशल मीडिया के जरिए बयान देते रहते हैं। तेज प्रताप यादव केंद्र सरकार पर निशाना तो अक्सर साधते आएं हैं वहीं जब से सीएम नीतीश ने राजद का साथ छोड़ एनडीए का हाथ थामा है। तब से तेज प्रताप सीएम नीतीश और जदयू पर भी हमलावार हैं। इसी बीच बीते दिन तेज प्रताप ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी भावनाएं व्यक्त की है। उन्होंने पोस्ट कर बताया है कि पिछले 6 साल से उन्होंने परेशान किया जा रहा है।
पोस्ट के दो मायने
हालांकि तेज प्रताप यादव ने साफ तौर पर यह नहीं कहा है कि उनको किस मामले में परेशान किया जा रहा है। वहीं सूत्रों की मानें तो उनके इस पोस्ट के दो मायने निकाले जा रहे हैं। पहला तो उनके परिवार पर चल रही ईडी सीबीआई की कार्रवाई जिसमें उनके पिता, भाई सहित 17 लोग आरोपित हैं। मामला लैंड फॉर जॉब से संबधित हैं। वहीं दूसरे मायने यह भी लगाए जा रहे हैं कि वह अपनी परिवारिक परेशानियों का जिक्र कर रहे हैं। दरअसल, 2018 में तेज प्रताप यादव की शादी हुई थी। उनकी शादी के भी 6 साल हो गए हैं, लेकिन उनका परिवारिक जीवन परेशानियों से भरा है। अब असल वजह क्या है तो पूर्व मंत्री ही बता पाएंगे।
6 साल से किया जा रहा परेशान
मालूम हो कि लैंड फॉर जॉब मामले में दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव को सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने तीनों को 1 लाख का बेल बॉन्ड भरने को कहा है। वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 27 फरवरी को होगी। वहीं ईडी ने लालू यादव और तेजस्वी यादव से पटना में इस मामले में लगभग 8 से 9 घंटे तक पूछताछ भी कर चुकी है। वहीं तेज प्रताप के पोस्ट को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने पोस्ट कर ईडी सीबीआई की दंबिश पर प्रहार किया है और कहा है कि, “6 साल से हमें परेशान किया जा रहा है”।
क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम :
लैंड फॉर जॉब स्कैम, यह घोटाला साल 2004 से 2009 के बीच का है, उस वक्त लालू यादव रेल मंत्री थे। ऐसा दावा है कि लालू ने इस पद पर रहते हुए लोगों को रेलवे में नौकरी देने के बदले उनसे जमीन ली थी। मामला करीब 14 साल पुराना मामला है लेकिन इसे लेकर 18 मई 2023 को सीबीआई ने केस दर्ज किया था। सीबीआई के अनुसार, जब लालू यादव रेल मंत्री थे उस वक्त रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया जाता था और उन लोगों के परिवार ने जमीन का सौदा किया, तब उन्हें जमीन के बदले रेगुलर कर दिया गया।