नहीं माने लालू तो पप्पू यादव ने भी कह दिया- पूर्णिया में कांग्रेस का झंडा बुलंद होगा
दिल्ली में लालू यादव और कांग्रेस के आला नेताओं की तीन दिनों की माथापच्ची के बाद महागठबंधन के सीट शेयरिंग की घोषणा शुक्रवार को हो गई। इसके तहत 26 सीटों पर राजद, 9 सीटों पर कांग्रेस और 5 सीटें लेफ्ट को दी गई हैं। लेकिन इसमें सबसे दिलचस्प है पूर्णिया और मधेपुरा। दोनों सीटें राजद अपने पास रख ली हैं। जबकि पूर्णिया से कांग्रेस के पप्पू यादव चुनाव लड़ना चाहते थे और मधेपुरा से पहले लालू ने उन्हें ऑफर दिया था।
अब ये साफ हो गया है कि पप्पू यादव इस चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार नहीं होंगे। हालांकि सीट शेयरिंग की घोषणा के बाद उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि कांग्रेस उन्हें पूर्णिया से अपना उम्मीदवार बना सकती है। सीट शेयरिंग के तुरंत बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि सीमांचल-कोसी जीतकर देश में कांग्रेस की सरकार बनाएंगे। पूर्णिया में कांग्रेस का झंडा लहराएंगे, राहुल गांधी जी को प्रधानमंत्री बनाएंगे।
इधर, लालू यादव ने बीमा भारती को पूर्णिया के लिए अपना सिंबल पहले ही दे दिया है। वो चुनाव प्रचार में जुट भी गई हैं। अब आधिकारिक रूप से पूर्णिया में महागठबंधन की उम्मीदवार भी वहीं होंगी। जबकी एनडीए की तरफ से सीटिंग सांसद संतोष कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया गया है।
बीमा भारती और पप्पू यादव दोनों की जिद को शांत करने के लिए कांग्रेस और राजद के बीच पूर्णिया सीट पर फ्रेंडली फाइट हो सकती है। अन्य सीटों पर महागठबंधन के कैंडिडेट हों और पूर्णिया में राजद और कांग्रेस दोनों अपना उम्मीदवार उतारें। राजद पिछले लोकसभा चुनाव में भाकपा माले के साथ सीवान सीट पर ऐसा कर चुका है। लेकिन ऐसा तभी संभव है जब कांग्रेस पूर्णिया सीट का सिंबल पप्पू यादव को देने के लिए राजी हो। पप्पू यादव भले सोशल मीडिया पर संकेत दे दिए हों लेकिन कांग्रेस के कोई भी नेता फिलहाल इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
कांग्रेस नहीं मानीं तो पप्पू के पास केवल निर्दलीय विकल्प
पप्पू यादव के पास पूर्णिया से चुनाव लड़ने का एकमात्र आखिरी विकल्प बचता है कि एक बार फिर से अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस से विलय वापस ले लें और उसी के सिंबल से चुनाव लड़ लें, जैसा वे तैयारी कर रहे थे। नहीं तो वे कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव दोनों से बगावत कर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर जाएं।