बिहार में एनडीए के बाद आखिरकार महागठबंधन में भी लोकसभा सीटों के बंटवारे का ऐलान हो गया है। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और रालोजपा के मुखिया पशुपति पारस का आरजेडी, कांग्रेस एवं वाम दलों के साथ गठबंधन नहीं हो पाया। महागठबंधन में ये दोनों ही पार्टियों को सीटें नहीं दी गई हैं। इससे पहले एनडीए में भी सहनी और पारस को जगह नहीं मिली थी। ऐसे में अब वीआईपी और रालोजपा के अकेले चुनावी मैदान में उतरने की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि, अभी तक मुकेश सहनी और पशुपति पारस ने अपने-अपने अगले कदम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। अगर ये नेता अकेले चुनाव लड़ते हैं तो कुछ लोकसभा सीटों पर एनडीए और महागठबंधन, दोनों का खेल बिगाड़ सकते हैं।
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की बात करें तो उनकी पहले बीजेपी से लंबी वार्ता चली थी। मगर निषाद आरक्षण पर बात नहीं बन पाने के कारण वीआईपी एनडीए में शामिल नहीं हो पाई। इसके बाद सहनी ने आरजेडी और कांग्रेस से संपर्क किया। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि मुकेश सहनी ने महागठबंधन में बिहार की तीन सीटों का प्रस्ताव सौंपा। मगर आरजेडी इस पर राजी नहीं हुई। अंदरखाने से खबर है कि आरजेडी और कांग्रेस अपने-अपने कोटे की एक-एक सीटें देने का मन बना सकती हैं। हालांकि, शुक्रवार को महागठबंधन के सीट बंटवारे के ऐलान के दौरान इस बारे में कोई चर्चा नहीं की गई।
ऐसे में अब मुकेश सहनी के अब अकेले चुनावी मैदान में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं। उनकी पार्टी मुजफ्फरपुर, खगड़िया और मधुबनी जैसी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है। मुजफ्फरपुर से खुद सहनी चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। अगर वे किसी भी गठबंधन में न रहकर चुनावी मैदान में उतरते हैं तो एनडीए और महागठबंधन का खेल बिगाड़ सकते हैं।
दूसरी ओर, पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी अलग-थलग पड़ गए हैं। एनडीए के सीट बंटवारे में पारस की पार्टी रालोजपा को कुछ नहीं मिला। इससे नाराज होकर वे एनडीए से अलग हो गए और केंद्रीय मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्हें महागठबंधन से उन्हें ऑफर मिला, मगर वहां भी बात नहीं बन पाई। अब महागठंबधन में सीट शेयरिंग हो गई है। इसमें रालोजपा को जगह नहीं मिल पाई है।
ऐसे में अब पशुपति पारस के पास अकेले ही चुनावी मैदान में उतरने का विकल्प बचा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि पारस हाजीपुर सीट से अपने भतीजे चिराग के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। इसके अलावा समस्तीपुर, खगड़िया जैसी कुछ एक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकते हैं, जहां से चिराग की पार्टी लोजपा रामविलास चुनाव लड़ रही है। अगर वे ऐसा करते हैं तो एनडीए का खेल बिगड़ सकता है। हालांकि, अभी तक पारस ने अपने अगले राजनीतिक कदम के बारे में कोई घोषणा नहीं की है।
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