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जब समस्तीपुर स्टेशन पर कर दी गई थी रेल मंत्री की हत्या, 48 साल बाद दोबारा जांच करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा हाई कोर्ट

दिल्ली हाई कोर्ट पूर्व रेल मंत्री ललितनारायण मिश्रा के पोते की याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गया है। 16 मई को मामले की सुनवाई होनी है। पूर्व रेल मंत्री के पोते वैभव मिश्रा की याचिका पर जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी। वैभव ने अपनी याचिका में हत्या की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की है। दरअसल पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने वैभव को दोषियों की अपील पर सुनवाई में सहायता करने की अनुमति दी थी। इसके बाद वैभव हाई कोर्ट पहुंचे हैं।

क्या था ललित नारायण मिश्रा हत्याकांड

पूर्व रेल मंत्री की हत्या मामले में निचली अदालत ने 2014 में चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने संतोषानंद, सुदेवानंद, गोपालजी और रंजन द्विवेदी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। दरअसल घटना 1975 की है जब ललित नारायण मिश्र समस्तीपुर में बड़ी लाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे। तभी ग्रेनेड विस्फोट में वह बुरी तरह घायल हो गए। इसके बाद उन्हें समस्तीपुर से दानापुर इलाज के लिए ले जाया गया। अगले ही दिन यानी 3 जनवरी को उनकी मौत हो गई।

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मिथिला के रहने वाले ललित नारायण मिश्र ऐसे पहले केंद्रीय मंत्री थे जिनकी हत्या कर दी गई थी। मृत्यु के वक्त उनकी उम्र 52 साल की थी। ललित नारायण मिश्र के साथ उनके छोटे भाई जगन्नाथ मिश्र भी घायल हो गए थे। हालांकि उनकी जान बच गई। इस हमले में एमएलसी सूर्य नारायम झा और रेलवे विभाग के क्लर्क राम किशोर प्रसाद की भी जान चली गई थी। समस्तीपुर रेलवे पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था। इसके बाद यह केस सीआईडी को सौंप दिया गया। थोड़ी दिन बाद बिहार सरकार ने केस सीबीआई को सौंप दिया।

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उस दिन क्या हुआ था

ललित नारायम मिश्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विश्वस्त माने जाते थे। उस दिन वह समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पर बड़ी लाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे। मंच पर उन्होंने अपना भाषण पुरा कर लिया था और वह उतरने को थे। तभी दर्शकों में से ही किसी ने ग्रेनेड फेंका। यह ग्रेनेड मंच पर आकर ललित बाबू के पास ही फट गया। इसके बाद उन्हें और उनके छोटे भाई को गंभीर चोटों आईं।

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खड़े हुए थे कई सवाल

ललित बाबू की हत्या के बाद से ही परिवार का कहना था कि उनके इलाज में भी साजिश की गई। कहा जाता है कि ललित बाबू को ट्रेन से पटना भेजा जाना था। बताया जाता है कि 132 किलोमीटर की दूरी करने में ट्रेन को 14 घंटे का समय लग गया। इस दौरान कई बार ट्रेन को रोका गया।

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