बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर क्यूआर कोड की तख्ती और गले में टैब लटकाए घूमने वाला डिजिटल भिखारी राजू अब इस दुनिया में नहीं रहा। स्टेशन पर भीख मांगने के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई। बताया जा रहा है कि राजू को दिल का दौरा पड़ा था। स्थानीय लोगों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उसकी मौत हो गई।
नहीं चलता था बहाना
बताया जा रहा है कि राजू 30 सालों से भीख मांग रहा था। बेतिया रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने वाले राजू दावा करता था कि वह बिहार ही नहीं बल्कि इंडिया का पहला डिजिटल भिखारी है। अगर लोग उसे खुले पैसे नहीं देते थे, तो वह अपना क्यूआर कोड दिखाकर उनसे पैसे ले लेता था। ऐसे में राजू के पास खुले पैसे न होने का बहाना नहीं चलता था।
बताया जाता है कि राजू को मानसिक विकलांगता के कारण उसे कोई नौकरी नहीं मिली। इसके बाद उसने भीख मांगकर अपना गुजारा करना शुरू कर दिया। उसने कई बार बताया था कि लोगों के पास हर समय नकदी नहीं होती थी, इसलिए डिजिटल तरीके से पैसे लेना शुरू किया। ऐसा करने से उसकी आय भी बढ़ी। इतना ही नहीं, राजू पीएम मोदी की डिजिटल योजना से बहुत खुश था।
लालू को कहता था ‘पापा’
राजू लालू यादव का बहुत बड़ा प्रशंसक था। वह उसे पापा कहता था। इतना ही नहीं, राजू लालू यादव की नकल भी करता था। कहा जाता था कि जब भी आस-पास लालू यादव का कोई कार्यक्रम होता था, तो लालू यादव को देखने और सुनने को राजू पहुंच जाता था। बताया जाता है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे, राजू को दो वक्त के खाने का रेलवे पास बनवा दिया था, ताकि उसे खाने-पीने में कोई परेशानी ना हो।
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