पटना हाईकोर्ट ने राज्य के विश्वविद्यालयों के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के स्वीकृत बजट का पैसा दस दिनों के भीतर जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि पैसा नहीं दिये जाने पर शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के वेतन पर रोक लगा दी जाएगी। वहीं, कोर्ट ने तीन विश्वविद्यालयों के खाता संचालन पर पाबंदी के शिक्षा विभाग के आदेश पर भी रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख 25 जून तय की।
पटना हाईकोर्ट ने कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति के वेतन उठाव रोक आदेश पर भी कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने विश्वविद्यालयों की ओर से दायर ग्यारह मामलों पर एक साथ सुनवाई की। राज्य के विश्वविद्यालयों के बजट की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लिये जाने पर तीन विश्वविद्यालय के सभी खातों के संचालक पर अगले आदेश तक रोक लगाने और बैठक में भाग नहीं लेने पर स्पष्टीकरण की मांग करने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की।
अदालत ने चेतावनी देते हुए सख्त लहजे में कहा कि शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों के स्वीकृत बजट राशि का भुगतान करे अन्यथा विभाग के सभी आला अधिकारियों के वेतन उठाव पर रोक लगा दी जाएगी। महाधिवक्ता ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का बचाव करते हुए कोर्ट को बताया कि स्पाइनल कॉड की समस्या के कारण उन्हें बैठने में दिक्कत होती है। इस कारण वीसी के साथ हुई बैठक में उन्होंने भाग नहीं लिया। कोर्ट ने वीसी और अधिकारी को इसे अहम का मुद्दा नहीं बनाने की बात कही। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए कई बिंदु तय किये।
कुलाधिपति की ओर से डॉ केएन सिंह और अधिवक्ता राजीव रंजन कुमार पांडेय ने बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव कोर्ट के आदेश का मान-सम्मान नहीं करते। गत दिनों कोर्ट ने वीसी के साथ होने वाली बैठक में अपर मुख्य सचिव को भाग लेने का आदेश दिया था। लेकिन वह बैठक में नहीं आए।
यही नहीं विश्वविद्यालयों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं करने का आदेश भी दिया गया था। बावजूद इसके विभाग ने पत्र जारी कर तीन विवि के बैंक खाता संचालन पर रोक लगा दी और पदच्युत करने की कार्रवाई करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया है। यह भी बताया कि विवि कानून के तहत सरकार को पैसा रोकने का अधिकार नहीं है। बावजूद सरकार गत जनवरी से पैसा नहीं दे रही।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि विभाग के बैठक में जब तक वीसी भाग नहीं लेंगे, तब तक शिक्षा विभाग एक पैसा नहीं देगा। उनका कहना था कि सिर्फ तनख्वाह लेने के लिए विश्वविद्यालय को नहीं खोला गया है। यही नहीं, उनका कहना था कि वीसी की नियुक्ति कैसे होती हैं यह सभी को पता है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगले वित्तीय वर्ष के प्रस्तावित बजट समीक्षा बैठक में कुलपति को भाग लेने को कहा गया था। लेकिन बैठक में किसी ने भाग नहीं लिया। 15 मई से 29 मई के बीच सूबे के 13 विश्वविद्यालयों को बैठक में भाग लेने के लिए तारीख व समय तय किया गया है।
विश्वविद्यालयों की ओर से अधिवक्ता विंध्याचल राय, सिद्धार्थ प्रसाद, रितेश कुमार, राणा विक्रम सिंह, मो असहर मुस्तफा, राजेश प्रसाद चौधरी ने कोर्ट में पक्ष रखा। कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने गत 16 मई को पत्र जारी कर विश्वविद्यालयों के बजट की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में भाग नहीं लेने पर तीन विवि के सभी खातों के संचालक पर रोक लगा दी है। साथ ही बैठक में भाग नहीं लेने पर स्पष्टीकरण मांगा है। यही नहीं पदच्युत करने तक की बात कही गई है। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय कानून के तहत शिक्षा विभाग को विश्वविद्यालय के किसी भी कर्मी को पदच्युत करने का अधिकार नहीं है। शिक्षा विभाग जो बजट मंजूर किये हुये है उसे भी गत जनवरी से जारी नहीं कर रहा है।
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