BJP नेता मनीष कश्यप को बड़ी राहत, सबूत ना मिलने पर फर्जी वीडियो मामले में कोर्ट ने किया बरी
भारतीय जनता पार्टी के नेता और यूट्यबर मनीष कश्यप को फर्जी वीडियो मामले में बड़ी राहत मिली है। पटना की सिविल कोर्ट ने सबूत ना मिलने की वजह से मनीष कश्यप समेत दो लोगों को बरी कर दिया है। फेक वीडियो को लेकर बिहार पुलिस की आर्थिक इकाई की तरफ से मामला दर्ज किया गया था। अभी कुछ समय पहले ही मनीष कश्यप ने मनोज तिवारी की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था।
बता दें कि तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ मारपीट का कथित वीडियो मनीष कश्यप ने अपने यूट्यू चैनल पर साझा किया था। यह काफी ज्यादा वायरल हुआ था और कई लोगों ने इसे देखा था। ये वीडियो बनाकर मनीष कानूनी चंगुल में बुरी तरह फंस गए। वीडियो वायरल होने के बाद तमिलनाडु पुलिस ने इसे फेक बताते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। इतना ही नहीं, बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने भी केस को लेकर केस दर्ज किया।
9 महीने बाद जेल से हुए रिहा
पुलिस के केस दर्ज होने के बाद मनीष कश्यप कई दिनों तक गायब रहे थे। इस दौरान उनके घर की भी कुर्की जब्ती की गई थी। कुर्की-जब्ती की कार्रवाई के दौरान 18 मार्च 2023 को उन्होंने सरेंडर कर दिया। बिहार पुलिस की टीम ने उन्हें हिरासत में रखकर पूछताछ की। इसके बाद तमिलनाडु पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई। कश्यप ने करीब 9 महीने जेल में गुजारे और उसके बाद उनको जमानत मिली और वह बाहर आ सके।
मनीष कश्यप ने थामा बीजेपी का दामन
बिहार के फेमस यूट्यूबर मनीष कश्यप ने कुछ ही समय पहले भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था। मनीष कश्यप को दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में सांसद मनोज तिवारी ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। पार्टी को जॉइन करने से पहले उन्होंने घोषणा की थी कि वह पश्चिमी चंपारण सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, कुछ पार्टी की सदस्यता लेने के बाद उनका मन बदल गया और चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया।
खुद को बिहार का बेटा कहने वाले मनीष कश्यप ने चुनाव प्रचार करना भी शुरू कर दिया था। वह निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरना चाहते थे लेकिन उससे पहले उनकी भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का कदम उठाया। इससे पहले वो साल 2020 में वो बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट से भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके थे। हालांकि, वह अपने प्रतिद्वंदी से हार गए थे।