बिहार में अब दाखिल खारिज के किसी आवेदन को अंचल स्तर पर एक बार में सीधे अस्वीकृत नहीं किया जा सकेगा। इसे अस्वीकृत करने से पहले आवेदक से उसका पक्ष जानना होगा। बिना मामले की सुनवाई किए कोई अंचलाधिकारी (सीओ) या राजस्व अधिकारी सिर्फ कारण लिखकर इसे अस्वीकृत नहीं कर पाएंगे। इससे संबंधित आदेश राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जारी किया है।
विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त और डीएम को पत्र लिखा है। जिला स्तर पर इस आदेश का पालन अनिवार्य रूप से सीओ और राजस्व अधिकारी से कराने के लिए उन्हें खासतौर से कहा गया है। सभी सीओ से भी कहा गया है कि वे इस आदेश का अनुपालन करें और इसके आधार पर ही स्थिति की समीक्षा करें।
ठोस कारण बताना होगा
आदेश में कहा गया है कि दाखिल-खारिज का आवेदन अगर एक बार अस्वीकृत हो जाता है, तो आवेदक को इसकी अपील भूमि सुधार उपसमाहर्ता के न्यायालय में करनी पड़ती है। जबकि, कई बार कोई दस्तावेज अपठनीय रहने या प्रासंगिक दस्तावेज छूट जाने के कारण भी आवेदन में आपत्तियां लगाई जा सकती हैं। यानी छोटे-मोटे या बिना किसी ठोस कारण के आवेदन को अस्वीकृत नहीं करेंगे। अधिकांश मामलों में देखा जाता है कि अंचल स्तरीय अधिकारी बिना आवेदक का पक्ष जाने आपत्ति लगा कर आवेदन अस्वीकृत कर देते हैं। प्राकृतिक न्याय के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि किसी भी मामले को अस्वीकृत करने से पहले संबंधित याचिकाकर्ता को आपत्ति की सूचना देते हुए उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाए।
जिम्मेदारी तय
दाखिल-खारिज अधिनियम के अनुसार, यदि अंचल अधिकारी, कर्मचारी और अंचल निरीक्षक जमीन के दस्तावेज की जांच से संतुष्ट नहीं हैं, तो वह इसकी जांच कर अपना निष्कर्ष लिखेंगे। इसके बाद संबंधित पक्षों को सुनवाई एवं साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा। इसके बाद भी अगर दस्तावेज अधूरे या गलत पाए जाते हैं, तो सीओ सभी संबंधित आधार का उल्लेख करते हुए किसी आवेदन को अस्वीकृत करेंगे।
अंचलों में लाखों आवेदन लंबित
पूरे राज्य में दाखिल खारिज के 7.44 लाख आवेदन लंबित पड़े हुए हैं। पटना, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, कटिहार, गया, समस्तीपुर, सहरसा, रोहतास, पूर्णिया, सीतामढ़ी, वैशाली, पश्चिम चंपारण, सारण, नवादा, किशनगंज, भोजपुर, भागलपुर समेत अन्य जिलों में लंबित आवेदनों की संख्या अधिक है।
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