देशभर में 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं। इसके बाद आईपीसी और सीआरपीसी की छुट्टी हो जाएगी। नए आपराधिक कानून के अनुसार अब किसी इलाके में घटित घटना की प्राथमिकी (एफआईआर) किसी भी थाना में दर्ज कराई जा सकेगी। इसे ‘जीरो एफआईआर’ के रूप में दर्ज करना अनिवार्य किया गया है। जीरो एफआईआर को सीसीटीएनएस के माध्यम से संबंधित थाने में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके बाद संबंधित थाने में प्राथमिकी की संख्या दर्ज की जाएगी। दर्ज की गई प्राथमिकी की जांच और कार्रवाई की प्रगति को एफआईआर नंबर के माध्यम से ऑनलाइन देखा जा सकेगा।
यह जानकारी राजगीर स्थित बिहार पुलिस अकादमी के निदेशक बी. श्रीनिवासन ने दी। श्रीनिवासन ने सोमवार को पीआईबी के तत्वावधान में ‘तीन नए आपराधिक कानूनों ’पर मीडिया कार्यशाला ‘वार्तालाप’ को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। कार्यशाला आशियाना-दीघा रोड स्थित कर्पूरी ठाकुर सदन के केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सभागार में हुई। इसमें तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की चर्चा की गई।
चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति प्रो.(डॉ) फैजान मुस्तफा ने कहा कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है। हालांकि, प्रो. फैजान ने इनमें नई चीजों को जोड़ने की जरूरत भी बताई। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में कई प्रावधानों से मानवीय पक्ष सामने आएगा।
नए कानूनों में प्रावधान है कि पुलिस थाने में पहुंचे पीड़ित की शिकायत आधे घंटे के भीतर सुनी जाएगी। अगर ज्यादा देर तक उसे इंतजार करवाया गया और बात ऊपर के अधिकारियों तक पहुंची तो थाने के संबंधित पदाधिकारी पर कार्रवाई तय है। किसी भी पीड़ित को ज्यादा देर तक थाने पर बैठाना किसी भी कीमत पर उचित नहीं है।
सभी थानों में तैनात अलग-अलग केस के आईओ को लैपटॉप और एंड्रायट मोबाइल दिया जाएगा। बिहार पुलिस जल्द ही डिजिटल पुलिस बनेगी। सभी आईओ को उनका अलग ई-मेल दिया जाएगा। इसके बाद सभी सीसीटीएनएस (अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क योजना) पर एक्टिव होंगे।
– एफआईआर से लेकर कोर्ट के निर्णय तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी
– इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान
– सात साल से अधिक सजा वाले मामलों में फॉरेसिंक जांच अनिवार्य
– यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देनी होगी
– पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान
– आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों में फैसला होगा
– भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर केस दायर करने का प्रावधान
– तीन साल के भीतर न्याय मिल सकेगा।
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