अगले साल अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले पटना मेट्रो का ट्रायल रन हो सकता है। इसके लिए मेट्रो डिपो में अगस्त से ट्रैक (पटरी) बिछाने का काम शुरू हो जाएगा। मेट्रो डिपो का काम अगले साल मार्च तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
करीब 30.5 एकड़ जमीन पर मेट्रो डिपो का निर्माण किया जा रहा है, जहां करीब पांच दर्जन ट्रेनें खड़ी की जा सकेंगी। इसके साथ ही कंकड़बाग के मलाही पकड़ी से न्यू आइएसबीटी स्टेशन तक प्रायोरिटी कोरिडोर का सिविल वर्क भी मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।
सीएम नीतीश ने काम में तेजी लाने के निर्देश दिए
हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निरीक्षण के बाद मेट्रो अधिकारियों को काम में और तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। मेट्रो डिपो में ही मेट्रो ट्रेनों के ट्रायल, मेंटेनेंस एवं तकनीकी जांच आदि का काम होता है।
पटना मेट्रो की ताजा प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पहले मलाही पकड़ी से न्यू आइएसबीटी तक पांच एलिवेटेड स्टेशनों के बीच ही सबसे पहले मेट्रो रेल को दौड़ाने की योजना है। इसमें मलाही पकड़ी, खेमनीचक, भूतनाथ, जीरो माइल और न्यू आइएसबीटी मेट्रो स्टेशन शामिल हैं।
न्यू आइएसबीटी के पास ही मेट्रो डिपो बन रहा है। इस रूट पर काम भी सबसे अधिक हुआ है। वर्तमान में प्रायोरिटी कोरिडोर का 75 प्रतिशत सिविल वर्क पूरा हो चुका है।
इस एलिवेटेड रूट पर बाईपास के पास मुख्य रूप से तीन जगहों पर काम बचा है, जिसे पांच-छह माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके बाद प्रायोरिटी कोरिडोर रूट पर पटरी बिछाने का काम भी शुरू होगा। इसको लेकर जल्द ही निविदा सहित अन्य प्रक्रियाएं शुरू किये जाने की उम्मीद है।
छह माह में आकार ले लेंगे मेट्रो स्टेशन
एलिवेटेड रूट के पांच स्टेशन भी अगले छह माह में आकार ले लेंगे। इन स्टेशनों को प्री-फैब्रिकेटेड तकनीक से बनाया जाएगा। इन मेट्रो स्टेशनों को वर्कशाप में तैयार कर उसे निर्धारित जगह पर इंस्टाल किया जाएगा। इसके लिए एजेंसी का चयन किया जा चुका है। इसको लेकर 75 करोड़ रुपये के बजट की मंजूरी मिली है।
जाइका के कारण फंस रहा पेंच
पटना मेट्रो के प्रायोरिटी कोरिडोर को शुरू करने में सबसे बड़ा पेंच जाइका (जापान इंटरनेशनल को-आपरेशन एजेंसी) के कारण फंस रहा है। प्रायोरिटी कोरिडोर में ट्रैक बिछाने व अन्य तकनीकी काम जाइका के फंड से होने हैं। इसके लिए पिछले साल जाइका और राज्य सरकार के बीच एमओयू भी हो चुका है, मगर अभी तक राशि निर्गत नहीं हो पाई है।
सूत्रों के अनुसार, अगर जाइका की ओर से गतिरोध जारी रहता है, तो राज्य सरकार वैकल्पिक व्यवस्था के तहत भी ट्रैक बिछाने व बोगियां लाने पर विचार कर सकती है। अधिकारियों के अनुसार, सब कुछ ठीक रहा तो छह महीने से एक साल के अंदर इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।
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