बिहार के पंचायतों में सभी तरह के विकास कार्यों में टेंडर प्रक्रिया अपनाने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाएगा। राज्य के विभिन्न पंचायतों के मुखिया के विरोध के बाद नीतीश सरकार बैकफुट पर आ गई है। राज्य सरकार में पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा के माध्यम से फाइल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेज दी गई है। सीएम नीतीश इस पर फैसला लेंगे।
सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित राज्य कैबिनेट की बैठक में शुक्रवार को फैसला लिया गया कि अब पंचायतों में 15 लाख से कम के विकास कार्य भी टेंडर के जरिए ही कराए जाएंगे। इस तरह नीतीश सरकार ने पंचायतों के मुखिया और वार्ड सदस्यों के पर कतर दिए। इससे विकास कार्यों में उनकी मनमानी नहीं चल पाएगी। कैबिनेट के इस फैसले के खिलाफ राज्य भर के मुखिया सरकार के विरोध में आ गए। विभिन्न जिलों में मुखिया संघ ने राज्य सरकार से यह फैसला वापस लेने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।
विरोध के बाद महज दो दिनों के भीतर नीतीश सरकार बैकफुट पर आ गई। अब राज्य सरकार ने अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का फैसला लिया है। यानि कि दो दिन पहले पारित हुआ कैबिनेट का निर्णय फिलहाल पंचायतों में लागू नहीं किया जाएगा। अगले आदेश तक पंचायतों में विकास कार्य पूर्व की व्यवस्था के अनुसार ही चलते रहेंगे। पंचायतों में मुखिया और वार्ड सदस्य बिना टेंडर के ही 15 लाख रुपये तक के काम करा सकेंगे।
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