बिहार में पुल पार करने से अब भाजपा के भी नेता डर रहे, नीतीश सरकार से कर दी बड़ी मांग
बिहार के कोने-कोने में एक के बाद एक गिर और बह रहे पुल और पुलियों की खबरों के बीच सत्तारूढ़ गठबंधन के सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं को भी बिहार में पुल पार करने में डर लगने लगा है। भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और पहले बिहार बीजेपी के प्रवक्ता रहे निखिल आनंद ने एक ट्वीट किया है जिससे राजनीतिक हलचल पैदा हो गई है। पुल गिरने को लेकर एनडीए में शामिल किसी पार्टी के किसी नेता का इस तरह का यह पहला बयान है। निखिल आनंद ने कहा है कि उन्हें बिहार में किसी भी फ्लाइओवर या पुल से गुजरने में डर लगता है। उन्होंने आश्चर्य जताया है कि पिछले 10 दिनों में आधा दर्जन पुल ध्वस्त हो गए हैं। निखिल ने गंभीरता से पुल गिरने की जांच कराने की मांग की है।
निखिल आनंद ने एक्स पर लिखा है- “बिहार में किसी फ्लाइओवर या पुल से गुजरने में मुझे डर लग रहा है। 10 दिनों के अंदर आधा दर्जन पुलों का ध्वस्त हो जाना आश्चर्यजनक है। एक गंभीर जांच और ऑडिटिंग की जरूरत है। कंस्ट्रक्शन कंपनी की जवाबदेही तय होनी चाहिए और ब्लैकलिस्ट करना चाहिए। इंजीनियरों पर भी मुकदमा दर्ज हो।” केंद्रीय मंत्री और हम के नेता जीतनराम मांझी ने पुल गिरने के पीछे साजिश का अंदेशा जताते हुए कहा था कि 6-8 महीने पहले पुल क्यों नहीं गिर रहे थे। मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पुल गिरने की जांच कराने की मांग की थी।
बिहार में हाल में 18 जून को अररिया में पहला पुल बहा था। आरजेडी नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का आरोप है कि तब से अब तक 16 दिनों में 12 पुल गिर चुके हैं। इंजीनियर कहीं पानी के बहाव तो कहीं मिट्टी के कटाव को कारण बताकर जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। अररिया के बाद 22 जून को सीवान, 23 जून को मोतिहारी, 27 जून को किशनगंज और 28 जून को मधुबनी में पुल गिरा। तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि 3 जुलाई को एक ही दिन में पांच पुल गिरे हैं जबकि 4 जुलाई की सुबह 12वां पुल गिर गया है। तेजस्वी ने कल तंज भरे ट्वीट में कहा था कि बीजेपी और नीतीश कुमार की रिकॉर्डतोड़ ईमानदारी से तंग आकर समाचार लिखे जाने तक 15 दिनों में 10 पुलों ने पानी में कूदकर आत्महत्या कर ली है।
बिहार में लगातार गिर रहे पुल से राज्य सरकार भी तनाव में है। सीएम नीतीश कुमार ने बुधवार को अफसरों के साथ लंबी मीटिंग की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि जितने भी पुराने पुल हैं, उसकी स्थिति की जानकारी लें और स्थल पर जाकर निरीक्षण करें। पुलों के रख-रखाव के लिए उचित कार्रवाई करें। नीतीश ने बन रहे पुल का निर्माण कार्य गुणवतापूर्ण तरीके से समय पर कराने भी कहा है।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण कार्य विभाग को पथ निर्माण विभाग की तरह मेंटेनेंस पॉलिसी तैयार करने का निर्देश दिया है। दोनों विभागों को पुलों के रख-रखाव के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने और सभी पुलों का नियमित निरीक्षण कराने कहा है। सीएम ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि काम में किसी प्रकार की शिथिलता बरतने पर जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।