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दिल्ली HC में चिराग की सांसदी को चुनौती देने वाली याचिका; कोर्ट ने समस्तीपुर की महिला को बोला- “आप गलत जगह आए हैं”

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दिल्ली हाई कोर्ट में हाल ही में बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई। जिसके बाद मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पटना उच्च न्यायालय में दायर की जानी चाहिए, क्योंकि लोकसभा चुनाव क्षेत्र बिहार में है और इस अदालत के पास सुनवाई का अधिकार नहीं होगा। हालांकि, अदालत ने इस मुद्दे पर एक चुनाव याचिका 28 अगस्त को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध की है। यह याचिका कथित रूप से यौन उत्पीड़न की शिकार समस्तीपुर की एक महिला द्वारा दायर की गई थी।

जस्टिस विकास महाजन ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, ‘इस हाई कोर्ट में यह याचिका कैसे स्वीकार्य होगी? क्योंकि यह निर्वाचन क्षेत्र बिहार राज्य में है, ऐसे में बेहतर होगा कि आप (याचिका) वापस ले लें और अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय में जाएं।’ न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा, ‘इस कोर्ट के पास सुनवाई का अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।’

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अपनी याचिका में महिला याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह प्रिंस राज और उनके सहयोगियों के कहने पर कथित यौन उत्पीड़न की शिकार हुईं, जिनमें उनके चचेरे भाई (चिराग) पासवान भी शामिल थे और उन्होंने लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय इस आपराधिक पृष्ठभूमि का खुलासा नहीं किया था।

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याचिका में कहा गया है कि कथित यौन उत्पीड़न के संबंध में साल 2021 में ही एक FIR दर्ज ही चुकी थी। इसमें कहा गया है कि आपराधिक मामलों के संबंध में झूठा हलफनामा दाखिल करना या हलफनामे में कोई भी जानकारी छिपाना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125ए का उल्लंघन है और इसके लिए छह महीने की सजा हो सकती है।

इस याचिका को लेकर चुनाव आयोग के वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार यह चुनाव याचिका यहां विचारणीय नहीं है, क्योंकि चुनाव बिहार में हुए थे।

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केंद्र की ओर से मामले में पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने आगे तर्क दिया कि कानून के तहत, केवल निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता या उम्मीदवार ही चुनाव को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकता है और याचिकाकर्ता दोनों में से किसी भी श्रेणी में नहीं आता है।

उन्होंने कहा, ‘अधिनियम स्पष्ट है। याचिकाकर्ता का अधिकार क्षेत्र सवालों के घेरे में है। आपको निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए या आपको उम्मीदवार होना चाहिए… योग्यता बाद में आएगी, पहले याचिकाकर्ता को बाधा पार करनी होगी।’

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