बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों में साइकिल से स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों विशेष कर लड़कियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. इस मौन क्रांति का नेतृत्व लड़कियां कर रही हैं. आइआइटी नयी दिल्ली के नये शोध में यह जानकारी सामने आयी है. शोध के मुताबिक बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लड़कियां स्कूल जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल कर रही हैं. मुंबई के नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज की अदिति सेठ ने कहा कि देश के एक बड़े हिस्से में साइकिल चलाने के स्तर में अभूतपूर्व वृद्धि एक मौन क्रांति है.
शोध के दौरान आइआइटी दिल्ली और नरसी मोनजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के शोधकर्ताओं को इस बात के भी पुख्ता सबूत मिले हैं कि साइकिल वितरण योजनाओं (बीडीएस) ने राज्य में साइकिल चलाने को बढ़ावा देने में मदद की है, जहां इन्हें लागू किया गया और इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी ग्रामीण लड़कियां हैं. आइआइटी-दिल्ली की पीएचडी शोधार्थी सृष्टि अग्रवाल के अनुसार, लैंगिक मानदंड, साइकिल की उपलब्धता, स्कूल की दूरी और सड़कों पर सुरक्षा भारत में कुछ ऐसे प्रमुख कारक हैं, जिनके चलते साइकिल से स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ रही है.
सृष्टि अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल जाने के लिए साइकिल के इस्तेमाल का स्तर दशक (2007 से 2017) में 6.6 प्रतिशत से बढ़कर 11.2 प्रतिशत हो गया है. ग्रामीण भारत में ये स्तर लगभग दोगुना (6.3 प्रतिशत से 12.3 प्रतिशत) हो गया है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह लगभग स्थिर (7.8 प्रतिशत से 8.3 प्रतिशत) रहा है. साइकिल चलाने में सबसे अधिक वृद्धि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के बीच हुई है. शोध के मुताबिक लड़कियों के बीच साइकिल चलाने में सबसे अधिक वृद्धि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में देखी गयी, जहां यह स्तर आठ गुना बढ़ गया. पश्चिम बंगाल में लड़कियों के बीच साइकिल चलाने में तीन गुनी वृद्धि हुई, जिससे ये देश भर में ग्रामीण लड़कियों के बीच साइकिल चलाने के उच्चतम स्तर वाले राज्य बन गये.
आइआइटी दिल्ली की शोध रिपोर्ट पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विज़न से राज्य में यह साइलेंट रेवोलूशन उस वक्त शुरू हुआ, जब कोई इस दिशा में सोच भी नहीं सकता था. सोशल मीडिया एक्स पर अपने पोस्ट में श्री झा ने कहा कि देश-दुनिया में इसकी सराहना हुई है. कई अन्य राज्यों ने भी इस मॉडल को लागू किया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस दूरदर्शी फ़ैसले का फल आज सबके सामने है.
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