ट्रेन का कंफर्म टिकट बुक करना आम तौर पर बड़ा टास्क होता है। खासकर अगर कोई ट्रेन बिहार, यूपी या पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की हो तो ट्रेन में कंफर्म बर्थ पाने के लिए पापड़ भी बेलने पड़ते हैं। इन राज्यों की कई प्रमुख ट्रेनों में महीनों पहले ही सीटें फुल हो जाती हैं। तत्काल बुकिंग के लिए तो गजब मारामारी होती है। अब इसका तोड़ निकालने के लिए लोग वीआईपी कोटे का फर्जी तरीके से इस्तेमाल करके कंफर्म टिकट पाने की जुगत में लग गए हैं। कटिहार रेल मंडल के अधिकारी इस समस्या से खासे परेशान हैं।
सूत्रों की माने तो हर दिन कटिहार डीआरएम बिल्डिंग के संबंधित विभागीय कार्यालय में 5 से 10 फर्जी लेटर प्राप्त हो रहे हैं। कुछ लेटर में माननीय के नाम पर तो कुछ पत्र रेल अधिकारी के नाम का भी मिल रहा है। कभी-कभी बिहार और बंगाल सरकार के मंत्री एवं पूर्व मंत्री के नाम के भी फर्जी लेटर आ जाते हैं। बताया जा रहा है कि राजधानी एक्सप्रेस से लेकर विभिन्न एक्सप्रेस ट्रेनों के एसी एवं स्लीपर कोच में बर्थ कंफर्म कराने के नाम पर वाणिज्य विभाग कार्यालय में होड़ लगी रहती है। डीआरएम बिल्डिंग में रखे गए लेटर बॉक्स में बर्थ कंफर्म कराने के लिए लोग पत्र डाल कर चले जाते हैं।
एक महीने में 200 से 300 लेटर ऐसे में मिले हैं, जो कि माननीय, रेल अधिकारी, मंत्री और पूर्व मंत्री के असली पत्रों से मेल नहीं खाते हैं। इस कारण से रेल अधिकारी संबंधित लेटर को फर्जी मानने लगे हैं। बता दें कि फर्जी लेटर या किसी ब्रोकर की संलिप्तता से डीआरएम कोटा से बर्थ कंफर्म कराने की प्रकिया की बात वाणिज्य विभाग के सामने पहले भी आई थी। हालांकि, इस मामले में कोई सबूत विभाग को हाथ लगने की भनक मात्र से एक अधिकारी ने कोटा रिलिज करने की प्रकिया में सख्ती बरतने का आदेश दे दिया था।
आदेश मिलते ही बिना असली लेटर हेड पर कोटा में बर्थ कंफर्म करने करने का प्रकिया बंद कर दिया गया। इससे धीरे-धीरे फर्जी लेटर भेजने का काम पहले की तुलना में कम हो गया है।
सूत्रों के अनुसार राजधानी, सीमांचल, चितपुर, हावड़ा एक्सप्रेस, अवध असम एक्सप्रेस, भगत की कोठी, हमसफर एक्सप्रेस, एसी एक्सप्रेस, नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस आदि दर्जनों एक्सप्रेस ट्रेन के विभिन्न कोचों में वेटिंग टिकट बर्थ कंफर्म कराने की होड़ लगी रहती है।
कटिहार के सीनियर डीसीएम धीरज चंद्र कलिता ने कहा कि फर्जी लेटर हेड के माध्यम से वेटिंग टिकट को कंफर्म कराने की बात सामने आई है। कुछ माननीय, रेल अधिकारी, पूर्व और वर्तमान मंत्री के लेटर फर्जी आने का मामला आया है। इसके बाद संबंधित पत्रों को जांच के लिए भेजा गया है। जांच में फर्जी पाए जाने पर संबंधित मोबाइल नंबर और धारक के खिलाफ रेलवे अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस बारे में रेलवे प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
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